गुरुवार, 29 नवंबर 2012

भोपाल पत्रकार आंदोलन में प्रस्तावित मांगें......


भोपाल पत्रकार आंदोलन में प्रस्तावित मांगें......


अधिकार से मांगो अपना हक

देशबन्धु प्रेस व मीडिया कदेशबन्धु प्रेस व मीडिया कर्मियों पर हमले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही हो र्मियों पर हमले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही हो


राज्यपाल के नाम पत्रकार संघ ‘आइसना’ ने तहसीलदार को ज्ञापन सौपा 

तहसील प्रमुख// परमानंद प्रजापति (बहोरीबंद) 
internet channal

सिहोरा. देशभक्ति व जनसेवा व शांति कायम रखने वाली पुलिस अब स्वयं अशांति फैला रही है तथा नैतिकता, मानवीय संवेदना व सच्चाई के सारे मायने भूल  चूकी है। पुलिस वालों द्वारा ऐसी ही अमानवीय अमर्यादित कार्यवाही कर सारी हदे पार कर दी है। दिनांक 26/11/2012 को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के देशबन्धु प्रेस जबलपुर संपादक, प्रेस के अन्दर मीडियाकर्मियों पर बर्बरता पूर्वक हमला कर दिया पुलिस की इस बेशर्म अमानीय की समस्त पत्रकार जगत व आम नागरिकों ने कड़े शब्दों में निंदा की। है। ‘आइसना’ पत्रकार संघ की सिहोरा जिला ईकाई व स्थानीय पत्रकारों ने दिनांक 27/11/2012 को म.प्र. शासन के महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा हैं। प्रेषित ज्ञापन में कहा गया हैं कि देशबन्धु प्रेस जबलपुर व मीडिया कर्मियों पर किये गये हमले की संघ निन्दा करते हुए हमलावरों को पुलिस शीघ्र दंडित करे।  ज्ञापन सौंपते समय ‘आइसना’ पत्रकार संघ की जिला ईकाई सिहोरा के जिलाध्यक्ष एहसान अंसारी, जिला महासचिव चन्द्रमणि त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश पालीवाल, उदय पटेल, उमेश विश्वकर्मा, परमानंद प्रजापति, नारायण मिश्रा, दिनेश सोनी, जगदीश सिंंह ठाकुर, पवन चौरसिया, विवेक उरमलिया, रामराज पटेल, राजेश रजक आदि उपस्थित थे।  पत्रकार संघ (आइसना) द्वारा तत्संबंध में कार्यवाहीं न होने पर शीघ्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

बैतूल मुलताई के पत्रकार भोपाल आंदोलन के समर्थन में लामबंद

भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में बैतूल मुलताई के पत्रकार लामबंद, सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय पत्रकारों को पहुंचने की अपील

जबलपुर सीहोरा के पत्रकार लामबंद, भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में

भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में पत्रकार लामबंद, सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय पत्रकारों को पहुंचने की अपील

मध्यप्रदेश जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के पुतले की अर्थी में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश से एक हजार पत्रकार और समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं के मालिक शामिल होने शीतकालीन विधान सभा सत्र के दौरान भोपाल पहुंच रहे हैं। 

जबलपुर सीहोरा के पत्रकार लामबंद, भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में


भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में जबलपुर सीहोरा के पत्रकार लामबंद,

 सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय पत्रकारों को पहुंचने की अपील

बुधवार, 28 नवंबर 2012

भोपाल पत्रकार आंदोलन के समर्थन में पत्रकार लामबंद, सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय पत्रकारों को पहुंचने की अपील

मध्यप्रदेश जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के पुतले की अर्थी में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश से एक हजार पत्रकार और समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं के मालिक शामिल होने शीतकालीन विधान सभा सत्र के दौरान भोपाल पहुंच रहे हैं। 




शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

क्या आप पत्रकार हैं ........अधिकार से मांगो........अपना हक


पत्रकारों चलो भोपाल ........... अपना हक मांगने
क्या आप पत्रकार हैं ........
तो क्या..........आपके पास अधिमान्यता है.....
नहीं तो क्यों..................अधिकार से मांगो...............अपना हक



प्रस्तावित मांग क्रमाक....1

प्रदेश के समस्त पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों को सूचीबद्ध करें। 
नियमित प्रकाशित पत्र, पत्रिकाओं के सम्पादक, प्रकाशकों, बेबमीडिया, टी.वी. मीडिया अन्य मीडिया तथा उनके द्वारा नियुक्त किये गये संवाददाताओं को अधिमान्यता दी जाए।



प्रदर्शन स्थल एवं दिनांक...
बस थोड़ी सी और प्रतिक्षा



गुरुवार, 22 नवंबर 2012

विधानसभा सत्र में निकालेंगे जनसंपर्क मंत्री की शवयात्रा!


विधानसभा सत्र में निकालेंगे जनसंपर्क मंत्री की शवयात्रा!



 (डेविड विनय)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश के छोटे मझौले समाचार पत्रों में जनसंपर्क विभाग की अस्पष्ट नीति के चलते रोष और असंतोष चरम पर आ गया है। जनसंपर्क विभाग किसी को पंद्रह लाख का विज्ञापन दे देता है तो किसी को मंत्री की अनुशंसा के बाद भी विज्ञापन जारी नहीं करता है। इससे आजिज आ चुके मीडिया संस्थानों ने एकजुट होकर अब मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री को ही घेरने का निर्णय लिया है।
मध्यप्रदेश जनसंपर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के पुतले की अर्थी में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश से एक हजार पत्रकार और समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं के मालिक शामिल होने शीतकालीन विधान सभा सत्र के दौरान भोपाल पहुंच रहे हैं। भाजपा शासनकाल में पत्रकारों के हित में कोई उचित निर्णय नहीं लेने एवं दोगली नीति के विरोध में पत्रकारों द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है इस संबंध में पत्रकार एच. द्विवेदी एवं ए. शर्मा ने बताया कि विगत वर्षों से समाचार पत्रों में कार्य करने वाले पत्रकारों के हितों में कोई फैसला एवं योजना नही बनाई गई। जिस वजह से सदैव समाचार पत्र मालिकों द्वारा लगातार शोषण होता रहा वहीं जिले, तहसील एवं ग्रामीण स्तर से प्रकाशित होने वाले प्रकाशकों के लिए विभाग द्वारा हितकारी नीति नहीं बनाई गई।
जिस कारण पत्रकारों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। वहीं विभाग में बैठे अधिकारियों द्वारा दोगली नीति कर अपने रिश्तेदारों संबंधियों एवं चापलुसकारों को लाखों रूपयों के विज्ञापन और नियम विरूद्ध सहायता देकर मालामाल किया जा रहा है। भाजपा शासन के कार्यकाल में लम्बे इंतजार के बाद भी आज पत्रकार सुरक्षित नहीं है। वहीं ऐसा कोई व्यवस्था नहीं हैं कि वे अपने जीवन यापन उचित तरीके से संचालित कर सके। इस दोगली नीति के विरोध में विधानसभा सत्र के दौरान संपूर्ण मध्यप्रदेश से प्रदेश की राजधानी भोपाल में पत्रकार एकत्रित होकर विभागीय मंत्री की पुतला अर्थी निकालेगें। जिसको बकायदा शमशान ले जाकर मुखाग्रि देकर शवदहन किया जायेगा। सभी पत्रकार साथियों से आग्रह किया गया है कि वे इस यात्रा में शामिल होकर पत्रकारों की हितों की लड़ाई में समर्थन दें। इस संदर्भ में सभी पत्रकार संगठनों से अपील की गई हैं कि वे अपने समस्त सदस्यों के साथ उक्त रैली में शामिल हो ताकि पत्रकारों के साथ दोहरी नीति ना अपनाई जा सके।

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

पत्रकारिता कल आज और कल


---- राष्ट्रीय प्रैस दिवस ----

पत्रकारिता कल आज और कल 

पत्रकारिता यानि मीडिया यानि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ पढने में ये शब्द शायद भारी भरकम लगे पर आज के समय में ये शब्द उतने ही खोखले हों गए हैI कभी पत्रकारिता को एक क्रांति के रूप में देखा गया था अब वही क्रांति धीरे -धीरे बिज़नेस का रूप धारण कर चुकी है और आगे चलकर शायद ऐसी सब्जी मंडी जहां औने पौने दाम में कुछ भी बेचा जा सकता है I
देश में अखबार की शुरुआत के साथ शुरू हुआ बदलाव का दौर, राजा राम मोहन राय जैसे समाज सेवको ने इसे एक क्रांति का रूप दिया I धीरे-धीरे इस क्रांति ने जन व्यापक को अपने साथ जोड़ा और शुरू हुई ऐसी शुरुआत जो देश आज़ाद होने पर ही रुकी। पत्रकारिता का जो असली उद्देश्य था वो पूरा हो चूका था। वो वह दौर था जहां अखबार में छपी खबर को सूरज पूर्व से निकलता है जितना सच मन जाता था।

और अब का पत्रकारिता का दौर ऐसा दौर है जहा सिर्फ चाटुकारिता की पत्रकारिता होने लगी है ! जहां आगे निकलने की होड़ में उजुल-फिजुल छापने की होड़ तो कहीं अपने आप को सबसे तेज और श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए अंधविश्वास और बिना पुष्टि के खबर चलने की होड़। कुछ तो दुनिया खत्म और भूत प्रेत चलाने से भी पीछे नहीं रहते। पत्रकारिता का असली कर्त्तव्य कहीं विलुप्त सा हो गया है। रही सही कसर कुकुरमुत्ते की तरह उगे टीवी चैनल पूरा कर रहे है। सिर्फ एक या दो टीवी चैनल को छोड़ दें, तो बाकी मुन्नी बदनाम, या दुनिया खत्म होने को ही अपनी लीड स्टोरी मानते है। हद तो तब हो गयी जब उपायुक्त के पालतू कुत्ते के खोने की खबर दिन भर चलती रही। ऊपर से पेड न्यूज़ नाम का कैंसर भी मीडिया की विश्वसनीयता को लगातार खोखला किये जा रहा है ।

आने वाले टाइम में भी अगर यही पत्रकारिता का हाल रहा तो आम आदमी का नेताओं की तरह पत्रकारों से भी विश्वास उठ जाएगा। एक आम आदमी होने के नाते मैं तो बस भगवान् से यही प्राथर्ना कर सकता हूं की भगवान् मीडिया को सद्बुद्धि दे। ( लोकेश गुर्जर )

आइसना राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की राज्यपाल महामहीम रामनरेश यादव से मुलाकात


"राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह " संघर्ष 2011

आइसना राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की मध्य प्रदेश राज्यपाल महामहीम रामनरेश यादव से मुलाकात



मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित  "राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह " आइसना द्वारा स्थानीय रवीन्द्र भवन में आयोजित इस गरिमामय समारोह में पांच ख्यातिनाम पत्रकारों को राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान, आठ वरिष्ठ पत्रकारों को विशिष्ट पत्रकारिता सम्मान तथा प्रदेश के 10 नामचीन पत्रकारों को राज्य स्तरीय पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया गया। आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना) के रविन्द्र भवन भोपाल में आयोजित प्रांतीय सम्मेलन "संघर्ष 2011 एवं  "राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह में मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहीम रामनरेश यादव ने इस प्रयास की सराहना की है|







"राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह " संघर्ष 2011

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित  "राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह " आइसना द्वारा स्थानीय रवीन्द्र भवन में आयोजित इस गरिमामय समारोह में पांच ख्यातिनाम पत्रकारों को राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान, आठ वरिष्ठ पत्रकारों को विशिष्ट पत्रकारिता सम्मान तथा प्रदेश के 10 नामचीन पत्रकारों को राज्य स्तरीय पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया गया। आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन (आइसना) के रविन्द्र भवन भोपाल में आयोजित प्रांतीय सम्मेलन "संघर्ष 2011 एवं  "राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह में मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहीम रामनरेश यादव ने इस प्रयास की सराहना की है|























शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

भूमिका शर्मा ब्लैकमेल करने के आरोप में पकड़ी गई

 Aisna news channal

इंडिया टीवी की एक मशहूर रिपोर्टर भूमिका शर्मा एक आदमी को ब्लैकमेल करने के आरोप में पकड़ी गई है। उस के साथ एक पुरुष पत्रकार, एबीपी न्यूज़ का प्रदीप श्रीवास्तव भी अब पुलिस के लपेटे में है। दोनों दिल्ली के एक मैकेनिक से बीस लाख रूपये मांग रहे थे, उसकी एक महिला के साथ फिल्म न दिखाने के बदले में। ये महिला धंधेबाज़ है। अभी ये पता नहीं है कि इस महिला की व्यवस्था मैकेनिक ने खुद की थी या ये पत्रकारों का बिछाया कोई जाल था।

ये महिला इस मैकेनिक तक पीपल्स फाउंडेशन के नाम से एक एनजीओ चलाने वाले किसी मनु शर्मा के ज़रिये आई। अब इस मनु शर्मा और इन दो पत्रकारों के बीच भी कोई साठगांठ थी या नहीं, पुलिस पता लगा रही है। लेकिन मैकेनिक ने पत्रकारों के साथ बातचीत रिकार्ड की। पुलिस इस बातचीत की भी जांच करा रही है। दोनों पत्रकारों को उन के चैनलों ने सस्पेंड कर दिया है। जांच दोनों चैनल अपने स्तर पे भी कर रहे हैं। दोनों ही पत्रकार अपने को बेक़सूर बता रहे हैं। एक जानकारी के मुताबिक़ भूमिका माँ बनाने वाली हैं। इसी लिएकुछ समय पहले उन को रिपोर्टिंग से हटा कर आफिस में असाइनमेंट (रिपोर्टरों से खबरें मंगाने) के काम में लगा दिया गया था।

बुधवार, 7 नवंबर 2012

ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता


पत्रकारों का राष्ट्रीय संगठन

ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता

प्रदेश के समस्त पत्रकारों को ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता प्राप्त करने के लिए आंमत्रित किया है। प्रदेश में मिडिया जगत से जुड़े विभिन्न स्तर पर जुड़े कर्मचारी इस संस्थान से जुड़ सकते हैं। सदस्यता प्राप्त करने के लिये निर्धारित फार्म भर कर अपने तीन पासपोर्ट साइज फोटो, आई.डी. प्रुफ, संस्थान का नियुक्ति पत्र, एवं संस्थान द्वारा जारी जीवित परिचय पत्र की अनुशंसा के साथ सदस्यता शुल्क 250 रुपये भेज कर प्राप्त की जा सकती है। निम्नलिखित फार्म में विवरण भर कर निर्धारित पते पर अपने फार्म भेज सकते है एवं अन्य जानकारी के लिये आइसना के प्रान्तीय महासचिव विनय जी. डेविड  के मोबाइल नं. 9893221036,  एवं 8305703436 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

-----------------------------------------------------------------

सदस्यता फार्म 

प्रति, 
             महासचिव, आइसना, महासचिव कार्यालय,     
              23/टी-7, गोयल निकेत अर्पाटमेंट, प्रेस कॉम्प्लेक्स, 
             जोन-1, एम.पी. नगर भोपाल, म. प्र.। 
महोदय,     

मैं आइसना की सदस्यता लेना चाहता हूं। जिसके नियम एवं शर्तों का पूर्ण रूप से पालन करुंगा। जिसकी निर्धारित सदस्यता शुल्क 200/-रू. तथा प्रवेश शुल्क 10/-रू. एवं डाक खर्च 40 रु. सहित 250/-रु. की राशि सदस्यता शुल्क के रूप में जमा कर रहा हूं। 
1. नाम ...........................................................................
2. पिता/पति का नाम.....................................................
3. जन्म तिथि .................................................................
4. पता............................................................................
5. फोन नं.......................6.मोबाइल नं............................
7. ई-मेल........................8. समाचार पत्र का नाम .........
9. प्रकाशन स्थल...........10. आर.एन.आई.नम्बर............. 
11. स्वामी/सम्पादक का नाम ........................................
12. प्रतिनिधि का पद.....................................................
13. प्रसार संख्या.............................................................
दिनांक...........................      
                                                        सदस्य के हस्ताक्षर

membership form of aisna ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता

पत्रकारों का राष्ट्रीय संगठन
ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता
सदस्यता फार्म 
membership form of aisna

पत्रकारों का राष्ट्रीय संगठन

ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता

प्रदेश के समस्त पत्रकारों को ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन की सदस्यता प्राप्त करने के लिए आंमत्रित किया है। प्रदेश में मिडिया जगत से जुड़े विभिन्न स्तर पर जुड़े कर्मचारी इस संस्थान से जुड़ सकते हैं। सदस्यता प्राप्त करने के लिये निर्धारित फार्म भर कर अपने तीन पासपोर्ट साइज फोटो, आई.डी. प्रुफ, संस्थान का नियुक्ति पत्र, एवं संस्थान द्वारा जारी जीवित परिचय पत्र की अनुशंसा के साथ सदस्यता शुल्क 250 रुपये भेज कर प्राप्त की जा सकती है। निम्नलिखित फार्म में विवरण भर कर निर्धारित पते पर अपने फार्म भेज सकते है एवं अन्य जानकारी के लिये आइसना के प्रान्तीय महासचिव विनय जी. डेविड  के मोबाइल नं. 9893221036,  एवं 8305703436 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

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सदस्यता फार्म 

प्रति, 
             महासचिव, आइसना, महासचिव कार्यालय,    
              23/टी-7, गोयल निकेत अर्पाटमेंट, प्रेस कॉम्प्लेक्स,
             जोन-1, एम.पी. नगर भोपाल, म. प्र.।
महोदय,    

मैं आइसना की सदस्यता लेना चाहता हूं। जिसके नियम एवं शर्तों का पूर्ण रूप से पालन करुंगा। जिसकी निर्धारित सदस्यता शुल्क 200/-रू. तथा प्रवेश शुल्क 10/-रू. एवं डाक खर्च 40 रु. सहित 250/-रु. की राशि सदस्यता शुल्क के रूप में जमा कर रहा हूं।
1. नाम ...........................................................................
2. पिता/पति का नाम.....................................................
3. जन्म तिथि .................................................................
4. पता............................................................................
5. फोन नं.......................6.मोबाइल नं............................
7. ई-मेल........................8. समाचार पत्र का नाम .........
9. प्रकाशन स्थल...........10. आर.एन.आई.नम्बर.............
11. स्वामी/सम्पादक का नाम ........................................
12. प्रतिनिधि का पद.....................................................
13. प्रसार संख्या.............................................................
दिनांक...........................    
                                                        सदस्य के हस्ताक्षर

यशवंत ने मांगी रंगदारी, हजार रुपये भड़ास के नाम जारी करें


भड़ास के हर पाठक से यशवंत ने मांगी रंगदारी, 
हजार रुपये करें भड़ास के नाम जारी

 Aisna news channal



जेल से लौटने के बाद आर्थिक मोर्चे पर दिक्कतें ही दिक्कतें देखकर लगा कि एक अपील अपने पाठकों से की जाए, कुछ मदद मिल जाने से संकट खत्म या कम हो जाएगा. पर, कहीं से एक पैसा भी न आया......... और, ऐसा इस बार ही हुआ. पहले कभी संकट आने पर आर्थिक मदद की अपील करता तो हर तरफ से मिलाकर इतना आ जाता कि फौरी संकट हल हो जाता और हम लोगों की गाड़ी लड़खड़ाते ही सही, चलने लगती. इस बार कोर्ट कचहरी जेल थाना पुलिस सर्वर घर आफिस... में खर्च इतना हुआ कि जेल से बाहर आने पर बजट की सुई ऋण-माइनस की ओर मुड़ी मिली.

भड़ास अब तक चलाने के दौरान कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने मुझे ''ब्लैंक चेक'' दिया कि कभी कोई दिक्कत हो, लाख दो लाख की तो लेते जाना, बिना लौटाने की सोचे. ये ऐसे लोग हैं जो अपने जीवन में आर्थिक रूप से सफल हैं और भड़ास जैसे प्रखर प्लेटफार्म के प्रशंसक हैं. ये लोग भड़ास को लगातार फालो करते हैं और जब-जब मदद की अपील की जाती रही, उचित मदद देते रहे. इनकी सदाशयता का कभी फायदा नहीं उठाया. इसीलिए पैसे इकट्ठे करने के लिए यहां वहां भिड़ा रहता. जब निजी जरूरतों के लिए पैसे कम पड़ जाते तो किसी से उधार मांग लेता, बाद में पैसे होने पर लौटा देता. ऐसे ही गाड़ी चलती रहती.

जेल से छूटने के बाद आर्थिक मोर्चे पर निराशाजनक स्थिति देखकर मैं भागकर अपने समृद्ध शुभचिंतक साथियों के यहां पहुंचा और सबसे थोड़ा-थोड़ा लेकर करीब दो लाख रुपये जुटा लाया. कुछ मदद छोटे व नए व शुभचिंतक मीडिया हाउसों ने कर दी, बिना कोई शर्त थोपे. सो, काम चल निकला है. सारा कर्ज वगैरह खत्म कर दिया. यहां तक कि मेरे जेल प्रवास के दौरान मेरे मां-पिता अपनी जेब से जो खर्च कर गए थे, उसे भी उन्हें लौटा दिया. इस तरह फिर से भड़ास के बजट की सुई धनात्मक-पाजिटिव की ओर झुक गई है. पर संकट खत्म नहीं हुआ क्योंकि भड़ास का कोई सिस्टम नहीं बना है. और, मैं सोचता हूं बन भी नहीं सकता क्योंकि जहां जहां सिस्टम बनाया गया, वहीं वहीं सिस्टम क्रैश व करप्ट हुआ. सो, पता नहीं क्यों सिस्टम बनाने को लेकर एक बेरुखी सी रहती है, पर किसी भी चीज के संचालन के लिए न्यूनतम ही सही, कोई सिस्टम तो बनाना पड़ेगा.

सोचता हूं क्या हो सकता है. विज्ञापन मिल नहीं सकता क्योंकि ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने 'ठगा' नहीं. सबके खिलाफ खबरें छापी हैं और सबके खिलाफ खबरें छापने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहते हैं. खुद अपने खिलाफ लिखे जाने वाले लेख विश्लेषण आरोप आदि को प्रमुखता के साथ छापता रहता हूं और छापने के लिए तैयार रहता हूं. तो, विज्ञापन वाला ट्रेडीशनल बिजनेस फार्मेट यहां चलेगा नहीं. क्योंकि जिसका विज्ञापन भड़ास पर चलने लगता है, उसके खिलाफ खबरें अचानक कुछ ज्यादा ही भड़ास के पास आने लगती हैं, इस चैलेंज के साथ कि देखते हैं, भड़ास वालों में इसे छापने का बूता है या नहीं. तो, जान बूझकर भी हमें उनके उकसावे में फंसना पड़ता है क्योंकि उनकी खबरों में कई बार दम होता है.

आर्थिक मदद की अपील करने वाला फार्मेट भी नहीं चलेगा क्योंकि इसका ज्यादातर पाठक सोचता है कि यह अपील किसी और के लिए है, उनका काम तो सिर्फ पढ़ना और पढ़कर निकल लेना है. तीसरा फार्मेट, जो एक साथी ने सुझाया था कि भड़ास के लिए एक फंड इकट्ठा कर उसकी एफडी कर दी जाए और उस एफडी से महीने में तीन चार लाख रुपये ब्याज के मिलते रहे तो इस ब्याज की रकम से भड़ास का खर्च निकलता रहेगा. सोचिए, अगर दस हजार लोग एक हजार रुपये दे दें तो एक करोड़ रुपये इकट्ठा हो सकता है. और इस रकम को फिक्स्ड डिपोजिट के बतौर रख दिया जाए तो महीने के कई लाख रुपये ब्याज के रूप में मिलते रहेंगे. यह आइडिया क्लिक किया, अच्छा भी लगा. पर किन्हीं कारणों से इसे अमल में नहीं लाया जा सका. अब इस आइडिया को इंप्लीमेंट किए जाने की जरूरत है.

भले एक करोड़ नहीं आए, अगर हजार लोग भी एक हजार रुपये दे गए तो दस लाख रुपये आ जाएंगे जो एक साल के लिए तो पर्याप्त होंगे. और एक साल बाद किसने देखा है कि मेरा मन यही चलाने का करेगा या भड़ास आश्रम खोलकर कहीं एकांत में धूनी रमा लूंगा और भड़ास के संचालन को एक कुछ पागल किस्म के पत्रकारों के हवाले कर दूंगा या यह भी संभव है कि भड़ास को बंद कर दूंगा ये लिखकर कि ये न जिंदा है, न मरा है, बस अपनी उम्र तक लड़ा है या ये कि भड़ास को किसी धनपशु को बेच दूं कुछ एक लाख रुपये में और वे रुपये भड़ास आश्रम में लगा दूं... या ये कि भड़ास को कंपनी में तब्दील कर इसमें कुछ धनवाले पार्टनर शरीक कर लूं और इसे भी कारपोरेट मीडिया की तरह ''काम निकालू और पैसे उपजाऊ माध्यम'' बना डालूं.... ये सब तो बाद की बात है, फिलहाल तो बात ये है कि मेरे जैसे फटेहाल के नेतृत्व में भड़ास की गाड़ी कैसे आगे बढ़ाई जाए...

हजार रुपये भड़ास सपोर्ट फी लेना या आजीवन भड़ास सदस्यता शुल्क के रूप में हजार रुपये लेना या भड़ास कंटेंट देखने-पढ़ने जिसे अंग्रेजी में सब्सक्राइब करना कहा जाता, के बदले एक हजार रुपये जमा कराना... यह सब मिलाकर बात एक ही है और यह एक साफ साफ और स्ट्रेट किस्म का आइडिया है. इसका महत्व ये है कि इस आइडिया के जरिए भड़ास अपने पाठकों के साथ एक ज्यादा निजी किस्म का रिश्ता डेवलप करेगा. जो भी भड़ास पढ़ता है, वह न्यूनतम हजार रुपये भड़ास को कांट्रीब्यूट करे. इससे उसे भी लगेगा कि वह भड़ास का पार्ट है, भड़ास के संचालन में उसकी भूमिका है. सो, भड़ास पर वह अपना अधिकार भी जता सकता है. भड़ास की दशा-दिशा पर सवाल भी उठा सकता है.

हजार रुपये का दर्शन बहुत बड़ा है. पिछले पांच साल से भड़ास बिना कोई पैसा दिए आप सभी लोग पढ़ रहे हैं और भड़ास के संचालन का खर्च मैं अकेले यहां वहां से भाग भागकर इकट्ठा करता रहा हूं. उधार लेकर, चंदा लेकर, डोनेशन लेकर भड़ास चलाता रहा हूं. इसी उधार के चक्कर में जेल भी हो आया. हालांकि सब जानते हैं कि उधारी को रंगदारी दिखाना उन लोगों के लिए स्ट्रेटजी का एक हिस्सा था ताकि उस बहाने भड़ास को बंद कराया जा सके और यशवंत के मनोबल को तोड़ा जा सके, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. और सबसे बड़ी बात कि आप सभी लोगों ने बिना कहे यह बात जान समझ लिया कि खेल यशवंत को बदनाम करने और भड़ास को बंद कराने का है, सो, आप सबने जो मेरा भरपूर साथ दिया उससे दैनिक जागरण और इंडिया टीवी का खेला गया दांव उलटा पड़ गया. अब जबकि चीजें दुरुस्त करने में भिड़ा हुआ हूं तो शिद्दत से ये महसूस हो रहा है कि आखिर भड़ास के संचालन की पीड़ा भड़ास के पाठक भी क्यों न उठाएं.

दो ही तरीके होते हैं मीडिया या आंदोलन को संचालित करने का. या तो हम धनपशुओं और दलालों से पैसे लेकर उनके लिए काम करें, उनकी शर्तों के हिसाब से चलें या फिर आम पाठक के बीच जाकर उनसे हम पैसे व उर्जा हासिल करें. यही फार्मेट रहा है क्रांतिकारी आंदोलनों और क्रांतिकारी मीडिया संस्थानों का. ऐसे फार्मेट में भ्रष्ट होने की मजबूरी नहीं रहती, भ्रष्ट होने का कोई बहाना नहीं होता. भड़ास जैसे अनमैनेज्ड मंच के लिए आम पाठक से सपोर्ट लेकर संचालित करना ज्यादा सटीक रहेगा. सो, इस बात को आप तक रख रहा हूं. और, ये भड़ास को लेकर आर्थिक अपील की आखिरी पोस्ट होगी क्योंकि अगर इस अपील के बाद भी भड़ास के लिए कोई ठीकठाक आर्थिक माडल डेवलप नहीं कर पाया तो मैं भड़ास के काम को सीमित करके खुद को कुछ नए कामों में इनवाल्व करूंगा ताकि कुछ पैसे कमा सकूं.

मैंने अब तक भड़ास के जरिए जो भी किया, उसमें दो मकसद जुड़ा हुआ था. अपने पत्रकारीय तेवर को एक मुकाम, मंच, माध्यम, मंजिल दे सकूं.... और इसी के जरिए, इस पैशन के जरिए इतना कमा सकूं कि घर परिवार का दिल्ली में खर्च चल जाए. दोनों काम बखूबी हुआ. और इस दौरान पता चला कि भड़ास सिर्फ मेरा ही नहीं, बल्कि देश के हजारों-लाखों लोगों का पैशन बन चुका है, एक ऐसा माध्यम बन चुका है जो पूरे देश में न्यू मीडिया के आंदोलन को लीड कर रहा है. तमाम तरह के झंझावातों से दो चार होते हुए यह मंच मीडिया और मीडिया के बाहर के इलाके में बड़ी खबरों के मामले में कई धमाके करने का श्रेय हासिल कर चुका है. इस कारण भड़ास कुछ ही दिनों में मेरा निजी भड़ास न रहकर पूरे मीडिया इंडस्ट्री और फिर बाद में देश के सभी टेक सेवी संवेदनशील व पढ़े लिखे लोगों का प्यारा व प्रखर मंच बन गया.

अपने कंटेंट के दम पर भड़ास इतना पापुलर है कि अत्यधिक हिट्स के कारण इसका सर्वर का खर्च महीने के बीस हजार रुपये हैं. सर्वर हम लोगों ने होस्टगेटर के इंडिया आफिस से ले रखा है और डेडीकेटेड सर्वर है. आफिस, घर व अन्य खर्च मिलाकर महीने के लगभग दो लाख रुपये के करीब खर्च होते हैं. अभी जिस तंगी से हम लोग गुजर रहे हैं उसमें आफिस बंद कर दिया गया है. कई अन्य खर्चों में कटौती की गई है. अब गेंद आपके पाले में है. अगर आप दैनिक जागरण, हिंदुस्तान जैसे अखबारों को खरीदकर पढ़ते हैं, महीने में सौ सवा सौ रुपये इनके मालिकों को देते हैं तो आपको भड़ास के लिए भी जीवन में एक बार कुछ पैसे खर्च करने चाहिए. ज्यादातर जगहों पर एक अखबार पढ़ने का खर्च साल का हजार रुपये से ज्यादा होता है.

हम लोग पूरे जीवनकाल के लिए, मतलब ''भड़ास आजीवन सदस्यता'' के लिए एक हजार रुपये मांग रहे हैं. यह मांगना भड़ास का हक है, क्योंकि भड़ास ने अपने माध्यम से बहुत कुछ आपको दिया है, समाज को दिया है, मीडिया के पेशे को दिया है, बहुत कुछ उम्मीदें जगाई हैं, बहुत लड़ाइयां लड़ी हैं. और, आगे भी यह मंच मजबूत व ताकतवर बना रहे, कारपोरेट मीडिया को आइना दिखाता रहे, भ्रष्टाचारियों के लिए आतंक का पर्याय बना रहे, पीड़ितों के लिए न्याय का माध्यम बना रहे, इसलिए जरूरी है कि आज इसके मुश्किल वक्त में इसकी मदद की जाए.

सो, आप लोग भड़ास के कर्ज को चुकाएं, ''भड़ास आजीवन सदस्यता'' के रूप में हजार रुपये इस मंच तक पहुंचाएं. जो लोग भड़ास को इसके जन्मकाल से पढ़ रहे हैं, यानि करीब चार साल से पढ़ रहे हैं, उनसे खासकर अपील है कि वे हजार रुपये भड़ास को मदद के रूप में जरूर दें ताकि भड़ास उनकी जिंदगी का हिस्सा आगे भी बना रहे. ''भड़ास आजीवन सदस्यता'' लेने वालों का नाम पहचान गुप्त रखा जाएगा, इसलिए कोई भी जर्नलिस्ट, नान-जर्नलिस्ट यह सदस्यता ले सकता है. अगर आप भड़ास की मदद करना चाहते हैं या ''भड़ास आजीवन सदस्यता'' लेना चाहते हैं या भड़ास पढ़ने के कारण हजार रुपये देकर अपने उपर लदा भड़ास का कर्ज चुकाना चाहते हैं तो आगे आएं. हम आपका इंतजार कर रहे हैं. आपकी छोटी सी पहल हमारे लिए बहुत बड़ी ताकत साबित होगी. आपकी सहमति का इंतजार है... आपको करना ये है कि...

'1000 rs yes' लिखकर 09999330099 पर SMS कर दें.

या

'1000 rs yes' लिखकर   पर मेल करके सूचित कर सकते हैं... एकाउंट नंबर यूं है..

Bhadas4Media
current account
A/c No. 31790200000050
Bank of Baroda, Branch : Vasundhara Enclave, Delhi-96
RTGS / NEFT / IFSC Code- barbovasund
 or
Yashwant Singh
saving account, A/c No. 003101560763
ICICI Bank Limited, Noida Branch, Uttar Pradesh

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उम्मीद है आपको यह 'रंगदारी' देने में आनंद आएगा. और, हमें भी आपसे 'रंगदारी' लेने में पूरी खुशी मिलेगी. और हमारा आपका यह सब करना उन सभी के लिए एक सबक होगा जो सोचते हैं कि जेल भिजवाकर या पुलिस दिखाकर मनोबल तोड़ा जा सकता है, मिटाया जा सकता है. मैं यह मानकर चल रहा हूं कि हजार रुपये दस हजार लोग नहीं देंगे तो कम से कम एक हजार लोग तो जरूर देंगे. अगर एक हजार लोगों का yes 1000 rs लिखा एसएमएस या मेल नहीं आया तो मैं यह समझ लूंगा कि मुझे भड़ास बंद करके अब कुछ और काम शुरू करना चाहिए क्योंकि इस भड़ास के पाठक ही नहीं चाहते कि वो जिसे रोज पढ़ रहे हैं उसे पढ़ने के बदले एक न्यूनतम फीस, शु्ल्क दे दें ताकि उसका संचालन होता रहे, अस्तित्व बरकरार रह सके.

इस थैंक्सलेस और कृतघ्न दौर में मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि अच्छे लोग बड़े पैमाने पर हैं, और इन्हीं अच्छे लोगों ने समय समय पर मेरी व भड़ास की सहायता करके इस मंच को इतना बड़ा और ताकतवर बनाया है. अब आप लोगों की बारी है, भड़ास के आम पाठकों की बारी है, हर उस पाठक की बारी है जो इसे खोलकर देखता पढ़ता है. पूरे जीवन के लिए हजार रुपये शुल्क देकर आप भड़ास के कंटेंट को एक तरह से सब्सक्राइव कर रहे हैं, इसके सक्रिय सदस्य बन रहे हैं, इसके शुभचिंतक बन रहे हैं. आपकी पाजिटिव प्रतिक्रिया का इंतजार है. साथ ही सुझाव भी.

मैं अपने विरोधियों, आलोचकों से कहना चाहूंगा कि वे मेरी आलोचना जारी रखें, मेरा विरोध करते रहें, इसी से मेरी शख्सीयत संवरी है, इसी विरोध के कारण भड़ास शुरू हुआ, इसी दुश्मनी के कारण जीवन में तरह तरह के अनुभव हासिल हुए और जीवन को संपूर्णता में समझ जी पा रहा हूं. और हां, वे यह भी पता करें कि आखिर हिंदी पोर्टलों में भड़ास ही ऐसा क्यों है कि इतना पापुलर है, इसको चाहने वाले, इसे पैसे देने वाले इतने लोग हैं.... जिस दिन वे इसका असली कारण जान जाएंगे, उस दिन वे थोड़े संत-से हो जाएंगे, थोड़े भड़ासी हो जाएंगे और थोड़े रुमानी भी हो लेंगे.

भड़ास के लिए आर्थिक मदद की ये आखिरी पोस्ट है, इसलिए चाहेंगे कि पीछे की उन सभी पोस्ट का लिंक दिया जाए, जिसमें समय-समय पर आर्थिक मदद की अपील की गई है

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अगर आपको लगता है कि भारत में न्यू मीडिया के प्रखर मंच भड़ास को जिंदा रखने के लिए, इसे सपोर्ट करने के लिए, इसके कंटेंट को पढ़ने के लिए, इसके कंटेंट का इस्तेमाल करने के लिए, इसके खर्चों में भागीदारी करने के लिए, इसे जनपक्षधर मंच बनाए रखने के लिए हजार रुपये खर्च कर भड़ास आजीवन सदस्यता हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं है तो आप '1000 rs yes' लिखकर 09999330099 पर SMS कर दें. या '1000 rs yes' लिखकर पर मेल कर दें.





मंगलवार, 6 नवंबर 2012

वरिष्‍ठ पत्रकार प्रवीण खारीवाल बने डीजी न्‍यूज के कोआर्डिनेटर

Aisna samachar

वरिष्‍ठ पत्रकार एवं इंदौर प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष प्रवीण खारीवाल ने अब इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के साथ अपनी नई पारी शुरू की है. प्रवीण अभी तक इंदौर में पीपुल्‍स समाचार के स्‍थानीय संपादक की भूमिका निभा रहे थे. जहां से उन्‍होंने एक सप्‍ताह पूर्व इस्‍तीफा दे दिया था. प्रवीण अब डीजी न्‍यूज से जुड़ गए हैं. उन्‍हें चैनल में न्‍यूज कोआर्डिनेटर बनाया गया है. डीजी के साथ यह उनकी दूसरी पारी है.  

सन 1987 से खेल हलचल पत्रिका से अपने पत्रकारीय जीवन की शरुआत करने वाले प्रवीण खारीवाल ने अब तक असली दुनिया, लोक स्‍वामी, चौथा संसार, चेतना सांध्‍य, राज एक्‍सप्रेस, डीजी न्‍यूज में विभिन्‍न पदों पर कार्य किया है. पीपुल्‍स समाचार ज्‍वाइन करने से पहले खारीवाल राज एक्‍सप्रेस में स्‍थानीय संपादक रह चुके हैं. 

आइसना मुलताई इकाई में शकील शाह अध्यक्ष, दीपक सदार उपाध्यक्ष, रवि बोबड़े सचिव बने


आइसना मुलताई इकाई में शकील शाह अध्यक्ष, 
दीपक सदार उपाध्यक्ष, रवि बोबड़े सचिव बने

आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोशिएशन के प्रांतीय महासचिव श्री विनय जी डेविड के अध्यक्षता में आइसना की मुलताई इकाई का गठन किया गया है। मुलताई में दिनांक 31.10.2012 ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोशिएशन (आइसना) के तहसील स्तरीय चुनाव संपन्न हुए, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार श्री घनश्याम नामदेव (सा. खबरयार) संरक्षक सलाहकार एवं मीडिया प्रभारी, श्री पी.आर.बचले (मा. अधिकार की बात) सलाहकार एवं मीडिया प्रभारी, श्री श्रवण बाघमारे (पा.उडनदस्ता) सलाहकार एवं प्रचार प्रसार को मनोनीत किया गया है. 

चुनाव में मुलताई तहसील से आइसना के अध्यक्ष श्री शकील शाह (मुलताई डायरी), उपाध्यक्ष श्री दीपक सदार (सिटी न्यूज), सचिव श्री रवि बोबड़े (राज एक्सप्रेस), कोषाध्यक्ष श्री सैय्यद हमीद अली (सा. अकबर टाइम्स), सहसचिव श्री जगदीश चंद्र पवार (मा. चैतन्य न्यूज), एवं कार्यकारिणी सदस्य श्री पी. आर. बचले (पा. उडऩदस्ता), श्री गंगाधर देशमुख (टाइम्स ऑफ क्राइम), श्री निर्मल पवांर, (टाइम्स ऑफ क्राइम), श्री श्रवण बाघमारे (पा.उडऩदस्ता), श्री सलमान शाह, (मुलताई डायरी), श्री जगजीत सिंह (मुलताई डायरी) चुने गये। नवीन कार्यकारिणी के गठन के पश्चात आइसना की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई जिसमें पत्रकारों की मूलभूत समस्याओं एवं उनके निराकरण के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। पत्रकार मित्रों ने  कार्यकारिणी को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं दी.

आइसना मुलताई इकाई में शकील शाह अध्यक्ष, दीपक सदार उपाध्यक्ष, रवि बोबड़े सचिव बने

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आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोशिएशन के प्रांतीय महासचिव श्री विनय जी डेविड के अध्यक्षता में आइसना की मुलताई इकाई का गठन किया गया है। मुलताई में दिनांक 31.10.2012 ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोशिएशन (आइसना) के तहसील स्तरीय चुनाव संपन्न हुए, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार श्री घनश्याम नामदेव (सा. खबरयार) संरक्षक सलाहकार एवं मीडिया प्रभारी, श्री पी.आर.बचले (मा. अधिकार की बात) सलाहकार एवं मीडिया प्रभारी, श्री श्रवण बाघमारे (पा.उडनदस्ता) सलाहकार एवं प्रचार प्रसार को मनोनीत किया गया है. 
चुनाव में मुलताई तहसील से आइसना के अध्यक्ष श्री शकील शाह (मुलताई डायरी), उपाध्यक्ष श्री दीपक सदार (सिटी न्यूज), सचिव श्री रवि बोबड़े (राज एक्सप्रेस), कोषाध्यक्ष श्री सैय्यद हमीद अली (सा. अकबर टाइम्स), सहसचिव श्री जगदीश चंद्र पवार (मा. चैतन्य न्यूज), एवं कार्यकारिणी सदस्य श्री पी. आर. बचले (पा. उडऩदस्ता), श्री गंगाधर देशमुख (टाइम्स ऑफ क्राइम), श्री निर्मल पवांर, (टाइम्स ऑफ क्राइम), श्री श्रवण बाघमारे (पा.उडऩदस्ता), श्री सलमान शाह, (मुलताई डायरी), श्री जगजीत सिंह (मुलताई डायरी) चुने गये। नवीन कार्यकारिणी के गठन के पश्चात आइसना की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई जिसमें पत्रकारों की मूलभूत समस्याओं एवं उनके निराकरण के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। पत्रकार मित्रों ने  कार्यकारिणी को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं दी.