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संविधान (नियमावली)
आल इण्डिया स्माल न्यूजपेपर्स एसोसिशन
पजीकृत संख्या एस- १२४०५ /८२
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| संस्था का नाम |
| आल इण्डिया स्माल न्यूजपेपर्स एसोसिएशन होगा। आगे जो
भी शब्द लिखा होगा उससे आल इण्डिया स्माल न्यूजपेपर्स का बोध होगा । इसका
संक्षिप्त रूप "आइसना" कहलाएगा स्माल शबल टाइटिल है स्माल प्रसार शब्द
संख्या को प्रतिबंधित नही करता है। |
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| कार्यालय |
| संस्था का पंजीकृत कायार्लय संख्या राज्य क्षेत्र् दिल्ली में होगा । वतर्मान समय का पता-गोल्फ लिंक हुमांयू रोड नई दिल्ली है। |
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| कार्यक्षेत्र |
| एसोसिएशन का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत होगा। |
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| उद़ेश्य एवं लक्ष्य |
- पूरे देश के सभी भारतीय भाषाओं के उन तमाम समाचार
पत्रों को जो विभिन्न जनपदों या नगरों से निकल रहे होगा और जिनका प्रसारण
एक लाख तक है संगठित करना ।
- इस प्रकार संगठित समाचार पत्रों के बीच समन्यवय सहयोग एवं समता को बढाना ।
- इन समाचार पत्रें की दैनिक आने वाली दिक्कतों से
चाहे वे प्रशासनिक हो रजानैतिक हो सामाजिक हो या फिर आथिर्क हो निपटने के
लिए अखिल भारतीय स्तर पर मार्ग खोजना तथा उन्हें सम्बंधित उच्च स्तर तक
पहुंचाना।
- प्रशासन द्वारा समाचार पत्र् को दी जाने वाली सुविधाओं को सही ढंग से समाचार पत्रें तक पहुचाने का माध्यम बनना।
- समाचार पत्र् व इनसे सम्बंधित पत्र्कार बन्धुओं तथा अन्य कर्मचारियों के बीच सौहादर् समन्वय एवं सामजस्य पैदा करना।
- जनपदीय समाचार पत्रें का स्तर क्रियात्मक तथा
सकारात्मक विकसित हो तथा जन साधारण के विचारों का निर्भीक निः स्वार्थ तथा
साक्त रूप में प्रस्तुतिकरण हो सके इसकी व्यवस्थाओं को अमल में लाना ।
- समाचार पत्रें से संबंधित पत्रकारों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना ।
- समाचार पत्रों को नियमित और सही मात्र एवं रूप में
अखबारी कागज मिले बिचौलियो की समाप्ति हो इसके लिए न केवल प्रशासन से
आवश्यक सुविधा जनक कानून बनवाने की परिपाटी चलाने का आग्रह करना उसे
मनवाना बल्कि आवश्यक होने पर यह एसोसिशन द्वारा कुउदार नियमों के आधार पर
काम चलाऊ व्याज की दर पर काम करने वाले आथिर्क निगम की संरचना करना ।
- भाषाई विवाद प्रान्तीयता पृथकतावादी तथा
साम्प्रदायिक तत्वों व विवादों से सम्बन्धित राष्ट्रीय पेनो से संगठन के
समस्याओं को तथा जन साधारण को अवगत कराना तथा राष्ट्रीय एकता की भावना
भरना ।
- समाचारपत्र जो केवल रिपोटिर्ग के लिए नहीं होते
बल्कि जन साधारण को सही दिशा का बोध कराने के लिए एक सीमित दायरे में
विचार-पत्र के रूप में भी विकसित होते है । राजनैतिक स्पर्धा के विकास न
होने पाएं, इसके लिए प्रयत्न करना ।
- सामाचार पत्रों के बीच न केवल आपसी समन्वय बनाना बल्कि उनके अन्दर भाईचारे का अटूट सम्बधं स्थापित करना ।
- उपरोक्त कार्यो को पूरा करने के लिए अध्ययन
गोष्ठियां, सेमिना,ज्ञानबद्धर्न के लिए देश के जलते हुए प्रयत्नों पर
क्रियात्मक विचार करने एवं तत्व खोजने के लिए विभिन्न ढंग के टूर यात्रा
संगठित करना, अध्ययन दल बनाना एवं शोधपूर्वक घटनाओं का विवेचन प्रस्तुत
करना ।
- भाषाई गुरूडम, प्रान्तीयता , पृथकतावादी तथा सामप्रदायिक नीतियों से बचाकर पत्रकारिता के विकास के लिए सभी प्रयत्न करना ।
- एसोसिएशन के प्रत्येक सदस्य को प्रशासन पत्रकार माने और उसके साथ उसी रूप मे सद़व्यवहार करे इसके लिए सतत प्रयत्न करना ।
- एसोसिएशन के धन का प्रयोग केवल उपरोक्त उद़ेश्यों
की पूर्ति हेतु करना, किसी सदस्य को एसोसिएशन के धन से व्यक्तिगत लाभ उठाने
का अधिकार नही होगा ।
- एसोसिएशन विभिन्न प्रान्तों के भिन्न नाम वालें संगठनों को अपने में शामिल भी कर सकेगा ।
- केन्द्रीय, प्रान्तीय व जिलें स्तर पर समाचार पत्र्
से संबंधित व असंम्बंधित प्रशासकीय एवं गैर प्रशासकीय समितियों शामिल होकर
समाचार पत्रों की समस्याओं को हल करने मे योगदान देना ।
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| व्यवस्थापक अंग एसोसिएशन को बनाये रखने लिए |
- संस्थापक सदस्य जनरल बाडी साधारण सभा
- डेलीगेट कान्फ्रेंस प्रतिनिधि सम्मेलन
- नेशनल कौसिल (राष्ट्रीय परिषद) तथा
- नेशनल इक्जक्यूटिव ( राष्ट्रीय कार्यकारिणी ) नामक चार अंग होगें।
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| सदस्यता |
| एसोसिएशन के उद्देश्य एवं लक्ष्य को उसके नियमों और
उपनियमों को मानते हो, उन पर चलने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हों । ऎसे सभी
व्यक्ति एसोसिएशन के सदस्य हो सकते है। |
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| सदस्यता के प्रकार |
| एसोसिएशन के सदस्य निम्न प्रकार के होंगे |
- संस्थापक सदस्य एसोसिएशन के ज्ञापन-पत्र् जिन
सदस्यों के हस्ताक्षर हैं और जिनके प्रयत्नों से ही एसोसिएशन मूर्त रूप
ले सका है ये संस्थापक सदस्य की भांति ही होंगें । ये सदस्य एसोसिएशन के
आजीवन सदस्य रहेगे पर सदस्यता शुल्क से मुक्त होंगे ।
- माननीय सदस्य पत्रकारिता के क्षेत्र् में बहुत समय
तक काम करने वाले तथा अनुभवी व्यक्ति को एसोसिएशन अपने माननीय सदस्य बना
सकेगा। यदि ये विशेष व्यक्ति चाहेंगे तो एसोसिएशन के विकास के लिए
आथिर्क सहायता अपनी क्षमता भर दे सकेगे पर इनसे नियमित सदस्यता शुल्क
नही लिया जायेगा ।
- साधारण सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की
स्वीकृति एवं सम्पति पर कोई भी व्यक्ति ,जो किसी समाचार पत्र् से सम्बंधित
पत्रकार है या पत्रकारिता के पेशे से संम्बधित है, एसोसिएशन का विधसम्मत
सदस्यता शुल्क देकर सदस्यता फार्म भरकर एवं सारी ओपचारीकताऎ पूरी करने बाद
सदस्य बन सकेगा।
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| सदस्यता की विधि |
| नोटः एसोसिएशन की सदस्यता राष्ट्रीय आधार पर एसोसिएशन द्वारा जारी किये गये प्रवेश पत्र द्वारा ही होगी । |
- सदस्य बननें के इच्छुक पत्रकार को "अ" परिष्ठि अश् में प्रकाशित प्रवेश पत्र् भरना होगा और सरस्यता शुल्क देना होगा ।
- सदस्य बनने के अभिलाषी पत्रकार को कम से कम एक वर्ष का अनुभव और ६ माह तक प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र् से सम्बधित होना चाहिए ।
- सदस्यता की पुर्णतः छानबीन करने के लिए तीन सदस्यी
चयन उप समिति का गठन अध्यक्ष द्वारा किया जायेगा, जो सभी प्राप्त प्रवेश
पत्र पर हर तीसरे महीने अपने रिपार्ट दिया करेगी और जिस पर अन्तिम निर्णय
राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होगा।
- एसोसिएशन अपने तमाम सदस्यों को सदस्यता परिचय पत्र्
जारी करेगा, जो सदस्य बनने के समस्त नियमों और औपचारिकताओं के पूर्ण होने
के बाद दिया जायेगा ।
- सदस्यता का नवीनीकरण प्रति वर्ष जनवरी से मार्च के बीच करा लेना अनिर्वाय होगा ।
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| सदस्यता शुल्क |
- सदस्यता शुल्क १ सौ रूपया वार्षिक होगा । प्रथम बार सदस्य बनने पर एक दस रूपये प्रवेश शुल्क देना होगा ।
- सदस्यता शुल्क का विभाजन १/ ४जनपद शा शेष का १/४ प्रान्तीय शाखा के लिए और शेष धन राष्ट्रीय संगठन के पास रहेगा ।
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| सदस्यता का मिलना और उसका छिनना |
- धारा ५ में उल्लिखित कोई भी पत्रकार, जो एसोसिएशन की
सदस्यता के लिए निधार्रित प्रवेशन पत्र् भरेगा, आवयक सदस्यता शुल्क देगा,
वह समस्त औपचारिकताओं के बाद एसोएसिएशन का सदस्य हो सकेगा, पर राष्ट्रीय
कार्यकारिणी को यह अधिकार होगा कि वह चयन समिति के द्वारा अनुशासित होने पर
भी किसी प्रवेश पत्र् को समुचित एवं स्पष्ट कारणो का उल्लेख करते सुए
सदस्यता के आवेदन पत्र् को अस्वीकार कर दे । अस्वीकृति की स्थिति में
प्रवेश शुल्क काटकर धन वापस कर दिया जायेगा ।
- यदि राष्ट्रीय कार्यकारिणी इससे संतुष्ट हो जाये
कि अमुक सदस्य विशेष ने एसोसिएशन के उद्रदेश्य एवं लक्ष्य, नियम या
उपनियमों के खिलाफ आचरण या काम किया है या उनका उल्लघन किया है या अन्य
समुचित आधार प्रमाणित है तो उसे सदस्यता से पृथक कर सकेगी। इस प्रकार पृथक
किये सदस्य के संम्बध का व्यापक प्रचार भी करेगी ताकि सदस्य विशेष एसोसिएशन
द्वारा प्रदत्त सदस्यता परिचय पत्र् का दुरूपयोग न कर सके ।
- इस पृथक्करण कार्यवाही में सदस्य विशेष को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया जायेगा।
- कोई सदस्य यदि वह दिंवगत जाये सदस्यता से पृथक कर दिया जायेगा । ३ त्यागपत्र् दे जाए। ४ वर्ष तक सदस्यता न दे।
- किसी न्यायालय द्वारा समाजिक अपराध का अपराधी अन्तिम रूप से घोषित कर दिया गया हो तो वह एसोसिएशन का सदस्य नही रह जायेगा ।
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| अध्यक्ष के अधिकार एवं कतर्व्य |
- अध्यक्ष संविधान का प्रमुख होगा । एसोसिएशन में किसी
डेडलाक की स्थिति में वह सारा अधिकार अपने हाथ मे लेगा और कार्यकारिणी की
अगली बैठक तक कायार्लय सहित सभी चीजा की व्यवस्था करेगा ।
- साधारण सभा , राष्ट्रीय कौसिल कार्यकारिणी,वार्षिक सम्मेलन तथा अपसमितियो की बैठको की अध्यक्षता करेगा ।
- अध्यक्ष के निर्णय अंतिम निर्णय होगे।
- सभी कार्यो का निरीक्षण करेगें ।
- सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओ से आवश्यकताअनुसार अन्य सरस्यो के साथ एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करेगें।
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्ष के सारे कार्य करेगा।
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| महामंत्री के अधिकार एवं कर्तव्य |
- कार्यकारिणी की ओर से एसोसिएशन का समस्त पत्र् व्यवहार करेगे ।
- सभी सभाओ और कमेटीयो की बैठक बुलाएगें और कार्यवाही को लिपिबद्ध करेगें।
- सभी कमेटियो की रिपोर्ट कार्यकारिणी में पेश करेगे।
- सदस्यता सुल्क की वसूली करेगे । एसोसिएशन के कार्यो का प्रकाशसन प्रसारण करेगें।
- कायार्लय की पूरी व्यवस्था करेगें और समस्त लिखा-पढी करेगें ।
- हर प्रकार की आय की रसीद देगें और पेमेन्ट केवल चेक के द्वारा ही करेगें । यथासम्भव दौरा करेगे और एसोसिएशन को संगठित करेगें ।
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| मंत्री के अधिकार |
- महामंत्री के अनुपस्थिति मे उनका सारा काम देखेगें।
- महामंत्री के कार्यो मे उनकी सहायता करेगे।
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| कोषाध्यक्ष के अधिकार |
- एसोसिएशन की आय की लेखा-जोखा रखेगे । सारा धन बैंक
मे जमा करायेगें । पाच सौ रूपये अपने पास रखेगें । २ हर वर्ष
हिसाब-किताब की जांच आडिटर से करायेगें और कार्यकारिणी में पेश करेगें । १६
सदस्यों के अधिकार १ सभी सदस्य जनरल बाडी की बैठक में भाग ले सकेगें ।
अपने विचार दे सकेगें ।
- अपने बीच से प्रतिनिधि सम्मेलन के लिए संविधान में वर्णित प्रतिनिधि-चुन सकेगें, उम्मीदवार हो सकेगें तथा मत दे सकेगें।
- प्रतिनिधि सदस्य प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग ले
सकेगें । उसके माध्यम से चुनी जाने वाली कौसिंल या किसी उप समितियों के
लिए मनोनित हो सकेगें मत दे सकेगें ।
- कौंसिल सदस्य य अन्य जहा-जहा वे चुने या मनोनित किये जायेगें उपने विचार रख सकेगे मत दे सकेंगें ।
- एक सदस्य एक समय में एक पद का पदाधिकारी होगा ।
- एसोसिएशन का संगठनात्मक रूप एसोसिएशन का संगठात्मक रूप निम्न तीन स्तरीय होगा
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| १. केन्द्रीय २. प्रान्तीय ३. जनपदीय |
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| जनरल बाडी-साधारण सभा |
- के देश भर में बनें सदस्य जनरल बाडी साधरण सभा के सदस्य कहलाएंगे।
- जनरल बाडी साधारण सभा मिटिंग दो वर्ष में एक बार या प्रतिनिधि सम्मेलन में करेगा, बुलाई जाएगी ।
- किसी भी प्रकार के एसोसिएशन के विघटन का निर्णय जनरल बाडी साधारण सभा ही ले सकेगी ।
- जनरल बाडी साधारण सभा की बैठक में १/१ की उपस्थिति से कोरम माना जायेगा ।
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| प्रतिनिधि सम्मेलनअधिवेशन |
- एसोसिएशन के कार्यो को क्रियात्मक रूप देने के लिए हर दो र्वा पर प्रतिनिधि सम्मेलन होगा ।
- स्थान-स्थान पर बने एसोसिएशन के तमाम सदस्य अपने बीच मे से १ सदस्यो पर एक प्रतिनिधि के अनुपात से प्रतिनिधि चुनेगें ।
- के अधिववेशन भाग पर जो ५ से कम न होगा एक प्रतिनिधि और चुना जा सकेगा ।
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| प्रतिनिधि सम्मेलन के कार्य |
- गत वर्ष में हुई एसोसिएशन की प्रगति के तथा अगले
वर्षो के लिए सुझावो पर जो महामंत्री की रिपोर्ट में होंगे विचार करना और
उन्हें पारित करना ।
- गत वर्षो के एसोसिएशन के आय-व्यय के लेखा-जोखा जो कि
निरीक्षको द्वारा जांचा गया होगा और उनकी रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया
गया होगा पास करना ।
- आने वाले वर्षो के लिए राष्ट्रीय कौंसिल का निर्वाचन करना ।
- एसोसिएशन के संविधान एव नियमावली में यदि कोई सुझाव
सरस्यों द्वारा प्रस्तावित हुए है और प्रतिनिधियो के मध्य अधिवेशन सम्मेलन
के १५ दिन पूर्व प्रसारित किये गये है विचार करना और निर्णय लेना ।
- प्रतिनिधि अधिववेशन सम्मेलन आयोजित करने दिंनाक तथा
स्थान आदि कि सुचना एक माह पूर्व दी जायेगी । इसके साथ ही प्रतिनिधि
सम्मेलन में विचारिणीय विषयों की तालिका भी रहेगी ।
- अधिवेशन के लिए चुने गये प्रतिनिधियो का यदि १/५ उपस्थित होगा तो कोरम माना जायेगा ।
- प्रतिनिधि सम्मेलन, अधिवेशन चूंकि एसोसिएशन की नीति
एवं कायरैली निधार्रण करने का उच्चतम संगठन होगा, इसलिए आवश्यक होने पर
राष्ट्रीय कार्यकारिणी या राष्ट्रीय कौसिल द्वारा अपेक्षित होने वाले
अधिवेशन भी बुलाया जा सकेगा, अथवा चुने गये प्रतिनिधियों के १/१ भाग के
आग्रह पर बुलाया जा सकेगा ।
- प्रत्येक प्रतिनिधि को एक वोट देने का तथा किसी समानता की स्थिति में अध्यक्ष को एक विशेष मत देने का अधिकार होगा ।
- अधिवेशन की अध्यक्षता एसोसिएशन के निवतर्मान अध्यक्ष
करेगें । अधिवेशन में निर्वाचन होते समय अध्यक्ष महोदय रिटनिर्ग आफिसर की
भुमिका निभाएगे ।
- निर्वाचन सम्पन्न होने के बाद नव निर्वाचित अध्यक्ष मनोनीत महामंत्री, कोशाध्यक्ष कार्यभार ग्रहण करेंगें ।
- अधिवेशन सम्मेलन की कार्यवाही महामंत्री या सहायक
मंत्री जिन्हें महामंत्री अधिकृत करगें , लिपिबद्ध करेंगें पर उत्तरदायी
महामंत्री ही होगें।
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| केन्द्रीय राष्ट्रीय कौंसिल |
- प्रतिनिधि अधिवेशन १ सदस्यों की कंन्द्रीय कौसिल का भी निर्वाचन करेगा।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों तथा सदस्य राष्ट्रीय कौसिल के पदेन सदस्य एवं पदाधिकारी होगें ।
- राष्ट्रीय कौसिंल दो प्रतिनिधियो के बीच एसोसिएशन की नीति निर्धारण करने उच्च संगठन होगी ।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सुझाव पर अथवा राष्ट्रीय
कौसिंल के चुने गये १६ सदस्यो की लिखित मांग होने पर राष्ट्रीय कौसिल
आहूति की जाएगी महामंत्री कम से कम २५ दिनो का नोटिस देकर तथा एजेण्डा
संलग्न करके राष्ट्रीय कौंसिल की बैठक बुलाएंगें ।
- नियमतः एक र्वा में राष्ट्रीय कौंसिल एक बार अवय से बैठक बुलाएगें।
- राष्ट्रीय कौंसिल राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पिछलें
निर्णयों पर विचार कर सकेगी । वर्ष भर आय-व्यय को पास करेगी । अगले वर्ष
की नीतियो का निधार्रण करेगी । राष्ट्रीय कार्यकारिणी को किन्ही कामों को
करने के लिए आदेशित कर सकेगी।
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| राष्ट्रीय कार्यकारिणी |
- के दिन प्रति के कार्यो को सचालित एवं व्यवस्थित
करने तथा उसको सुचारू रूप से चलाने रहने, राष्ट्रीय कौसिल तथा प्रतिनिधि
सम्मेलनो , अधिवेशनो द्वारा लिय गये निर्णयो को असली रूप देने के लिए
प्रतिनिधि सम्मेलन, अधिवेशन के समय ही अध्यक्ष द्वारा सभी पदाधिकारियो तथा
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यो का मनोनियत किया जायेगा ।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी ३१ सदस्यो की बनायी जायेगी
जिसमे १ अध्यक्ष २ उपाध्यक्ष १ महामंत्री ३ मंत्री १ कोषाध्यक्ष तथा २३
सदस्य होगें । ३ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कम से कम ३ माह मे अवय
होगी । कार्यकारिणी १/३ सदस्यो के लिखित आग्र्रह पर बुलाई जा सकेगी। ४
महामंत्र्ी कम से कम २ दिन का समय देकर तथा अतिआवयक होने पर १ दिन का समय
देकर विचारणीय ऎजण्डा संलग्न करके मीटिंग बुलाएगें।
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| राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कतर्व्य |
- एसोसिएशन की अचल और चल संम्पत्ति का तथा धन का प्रबन्ध करेगी।
- के लिए आवयक होने पर व्यक्तियो की नियुक्ति, वखार्स्त या पद मुक्त सकेगी।
- एसोसिएशन के लिए आवयक होने पर अचल सम्पत्ति क्रय करेगी , उसकी व्यवस्था करेगी और की विकास के लिए उसका उपयोग करेगी ।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी अपनी उप समितियो का जनपद से
लेकर प्रान्त तक शाखाओं का वार्षिक आय-व्यय रखेगी। हर वर्ष महामंत्री और
कोषाध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत आय-व्यय पर चर्चा करके पास करेगी ।
- चयन समिति, अनुशासन समिति तथा अन्य उपसमितियो का गठन
करेगी। उपसमितियो में अपने बीच के व्यक्ति के अलावा भी बाहर के कुशल और
जानकार व्यक्तियो को यदि जरूरी हो तो ले सकेगी । इनकी रिपार्ट को प्राप्त
करेगी और उन्हे केन्द्रीय कार्यकारिणीय के समक्ष प्रस्तुत करेगी ।
- अध्यक्ष के माध्यम से सभी पदाधिकारीयो के कार्यो पर
नियंत्रण एसोसिएशन के हित के लिए पुस्तको, रिपोर्टस प्रत्रिकाओ,
हेण्डबिलों आदि का प्रकाशन करेगी । सेमिनार, भाषण , वाद-विवाद
प्रतियोगिताएं आदि भी आवश्यक होने पर संगठित करेगी ।
- प्रतिनिधि सम्मेलन प्रस्तुत करने लिए महामंत्री की
रिपोर्ट आय-व्यय लेखा, अगले वर्षो के लिए सुझावात्मक विवेचनों एवं बजट
तैयार करेगी
- एसोसिएशन की शाखाये सभी जनपदो एवं प्रान्तो में
स्थापित करेगी, उन्हे मान्यता देगी उनके संगठन को व्यापक बनाने के लिए हर
संभव काम करेगी।
- एसोसिएशन के उद्देश्य एवं लक्ष्यो की प्राप्ति के लिए जो भी और कुछ आवश्यक होगा उसे कार्य रूप देगी।
- . एसोसिएशन के चतुर्मुखी विकास के लिए तथा एसोसिएशन के सदस्यो से संम्बधित ाासन के सभी कामो में पहल करेगी।
- . प्रशासनिक संगठनो में एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों का चयन करेगी
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| प्रान्तीय संगठन |
- प्रान्त स्तर पर विभिन्न जनपदो से १ पर १ के अनुपात में चुने गयें प्रतिनिधियो का प्रतिनिधि सम्मेलन हुआ करेगा ।
- प्रान्तीय प्रतिनिधि सम्मेलन एसोसिएशन के कार्य और
उस प्रान्त संचालित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप ही राष्ट्रीय
अध्यक्ष की सहमति ६ सदस्यो कि प्रान्तीय कौसिल तथा २७ व्यक्तियो की
प्रान्तीय कार्यकारिणीय निर्वाचीत करेगी ।
- प्रान्तीय कार्यकारिणी में १ अध्यक्ष, २ उपाध्यक्ष, १
राज्य मंत्री, २ मंत्री, १ कोषाध्यक्ष तथा १६ सदस्य चुने हुए होगें तथा
राज्य अध्यक्ष द्वारा ४ सदस्यो को मनोनित किया जायेगा । आवयकतानुसार
पदाधिकारियो की संख्या पिटाई और बढाई जा सकती है । ४ प्रान्तीय कार्यकारिणी
की बैठक हर तीसरे माह होगी और १५ दिन का नोटिस देकर राज्यमंत्री द्वारा
बुलाई जायेगी । कार्यकारिणी की १/५ सदस्यो की लिखित मांग पर बैठक बुलाई जा
सकेगी।
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| जनपदीय संगठन |
- जनपद स्तर पर एसोसिएशन के सभी सदस्य प्रतिनिधि होगें सबका प्रतिनिधि अधिववेशन होगा ।
- जनपदीय प्रतिनिधि सभा एसोसिएशन के काम को सुचारू
रूप चलाने के जनपदीय कमेटी का निर्वाचन करेगा। जनपदीय कार्यकारिणी में १
अध्यक्ष, १ उपाध्यक्ष १ जिलामत्री १ मंत्री, १ कोषाध्यक्ष, तथा १ सदस्य
होगें कुल १५ सदस्यीय कमेटी का गठन होगा । आवयकतानुसार पदाधिकारियो की
संख्या घटाई-बढाई जा सकती है ।
- जनपदीय स्तर पर कौसिल नही होगी तथा वहां की कार्यकारिणी में मनोनित सदस्य भी नही होगे।
- जनपदीय कमेटियां अपने यहा की समस्याओ तथा दिक्कतो के
माध्यम से या आवयक होने पर प्रान्तीय कमेटी को कागजात प्रस्तुत करते हुए
केन्द्रीय कमेटी के माध्यम से या आवश्यक होने पर प्रान्तीय कमेटी को
कागजात प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय तक भी प्रस्तुत कर सकेगी।
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| निर्वाचन |
- हर वर्ष राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में निर्वाचन
केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा जो केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों और
पदाधिकारियों को मनोनीत करेगें । निर्वाचन सारधारण बहुमत के आधार पर होगा।
यह मतदान गुप्त मतदान प्रणाली से लिया जायेगा और उसकी गुप्पता सुरक्षित
रखी जायेगी। राष्ट्रीय कौंसिलके सदस्यों का निर्वाचन भी प्रतिनिधि सम्मेलन
में ही होगा । यदि प्रतिनिधि आवयक समझते हैं तो अध्यक्ष के अलावा सभी पदो
का चुनाव भी किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी का कार्यकाल २ वर्ष का होगा।
किसी आपत स्थिती में राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा यह अवधि ६ माह से एक
वर्ष तक बढाई जा सकेगीं।
- कोई पदाधिकारी तीन बार से अधिक पद पर न चुना जायेगा न मनोनीत किया जायेगा।
- चुनाव मे मतदान करने भाग लेने का अधिकार केवल उन्ही
सदस्यो का होगा जिनकी सदस्यता विधिवत स्वीकार हो गयी हो, जो अपनी सदस्यता
की स्वीकृती के बाद एक वर्ष का कार्यकाल पुरा कर चुके हो और अप-टू-डेट
सदस्यता शुल्क दे चुके हो।
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| भाषा |
| राज्य स्तर पर एसोसिएशन का कार्य प्रान्तीय भाषण या
राष्ट्रीय भाषणा में होगा पर राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी व अंग्रेजी दोनो
भाषाओं में होगा । |
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| स्थान रिक्त होना |
- किसी सदस्य की मृत्यु से ।
- स्वतः त्यागपत्र् देने और उसके स्वीकार होने से।
- सदस्य के पागल होने से अथवा नैतिक अपराधिक घोषित होने से।
- सदस्य को सदस्यता से पृथक कर दिये जाने से उसका
स्थान प्रतिनिधि अधिवेशन राष्ट्रीय कौंसिल,राष्ट्रीय कार्यकारिण,
प्रान्तीय , जनपदीय कमेटियों उप समितियो मे रिक्त हो जायेगा ।
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| रिक्तता की पुर्ति |
- रिक्त हुए स्थान की पुर्ति यदि स्थान केन्द्रीय
कार्यकारिणी का है तो, अध्यक्ष द्वारा भरा जायेगा। प्रान्तीय कमेटियो के
रिक्त स्थान प्रान्तीय अध्यक्ष द्वारा भरे जायेगे।
- अध्यक्ष का पद रिक्त होने की स्थिति मे तात्कालिक
रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी कार्यवाहक रूप में या अस्थाई रूप में
उपाध्यक्ष से या अपने में से किसी को कार्य सौप सकेगी । अन्य पदाधिकारियों
के रिक्त स्थान अध्यक्ष द्वारा भरे जायेगें ।
- अध्यक्ष के स्थान पर यदि उपलब्ध होतो उपाध्यक्ष,
महामंत्री के स्थान पर उपलब्ध है तो मंत्री कार्यवाहक या स्थाई रूप में
कार्य ग्रहण करेगें और ६ मास के अन्दर कार्यकारिणी की बैठक आहूत कर
आवश्यकताअनुसार पिछली कार्यवाही की पुष्टीकरण कराकर रिक्त पद को पूर्ण
कर दिया जा सकता है।
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| फण्ड एवं सम्पत्ति |
- संस्था की सभी चल और अचल सम्पत्ति का लेखा-जोखा
आय-व्यय कोषाअध्यक्ष द्वारा रखा जायेगा जो फण्ड जमा होगा वह संस्था के
नाम से नयी दिल्ली के किसी राष्ट्रीयक़त बैंक में रखा जायेगा और हर
वर्ष कार्यकारिणी द्वारा पास कराया जायेगा आवश्यकता अनुसार प्रान्त व
जिलो की समितियो में भी जिला और प्रान्तीय स्तर पर बैंक का खाता संयुक्त
हस्ताक्षर से खोल सकती है
- बैंक में खाता अध्यक्ष, महामंत्री एवं कोषाध्यक्ष
के सम्मिलित त्रिसदस्यी हस्ताक्षर से रखा जायेगा। बैंक के खाते से धन
निकालने का काम किन्ही दो के सम्मिलित हस्ताक्षर से सम्भव हुआ करेगा ।
साधारण तौर पर 5 पॉंच सौ रूपये खर्चे के लिए महामंत्री या कोषाध्यक्ष
के पास रखा जा सकेगा। उसे आदेश देगा तो वह किसी भी सम्पत्ति के लिए
ट्रस्ट बना सकेगी और ट्रस्ट को राष्ट्रीयकरण कार्यकारिणी अपने कुछ
अधिकार सौप सकेगी।
- एसोसिएशन की भंग होने की स्थिति को छोडकर एसोसिएशन की सम्पत्ति न तो बेची जायेगी और न उसे अस्त-व्यस्त किया जायेगा ।
- राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति फण्ड विशेष जमा करेने लिए भी कार्यवाही करेगी ।
- एसोसिएशन इसके लिए प्रयत्न करेगा कि जनपद में
समाचारो के संग्रह, भाईचारे भावना की बढोत्तरी तथा प्त्रकारिता के आदर
एवं स्तर को अधिक व्यापक एवं समुन्नत करने के उद़देश्य से 'प्रेस क्लब'
चलाए जाय और उनके लिए भूमि या भवन का अधिग्रहण करने उसके लिए आवयक विधि
सम्मत कार्य करने आदि के उत्तरदायित्व निभाएगा।
- एसोसिएशन का वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक होगा।
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| न्यायिक वाद |
- एसोसिएशन पर या एसोसिएशन की ओर से किसी भी प्रकार के
न्यायिक वाद यानि मुकदमें की पैरवी संस्था पंजीकरण अधिनियम १८६ की धाराओ
के अनुसार एसोसिएशन अध्यक्ष तथा महामंत्री करेगे ।
- एसोसिएशन के द्वारा एसोसिएशन पर किसी प्रकार का वाद
केवल उसी स्थान के न्यायालयो में चल सकेगा जहां वाद प्रस्तुत करते समय
एसोसिएशन का पंजीकृत 'कार्यकालय' होगा । एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष एवं
महामंत्री एसोसिएशन की पूर्व स्वीक़ति करने बाद ही न्यायालय में वाद या
बचाव पत्र प्रस्तुत कर सकेगें ।
- एसोसिएशन के विरूद्ध प्रस्तुत किये गये किसी वाद का
उत्तर देने तथा उसे आगे बढाने के लिए अध्यक्ष एवं महामंत्री से एसोसिएशन से
अधिकृत होगे पर उन्हे हर हालत मे सही स्थिति से राष्ट्रीय कार्यकारिणी को
अवगत कराना होगा।
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| एसोसिएशन का भंग होना |
- एसोसिएशन के भंग या विघटित होने की अवस्था में
एसोसिएशन के पास जो भी चल या अचल सम्पत्ति होगी उसका एसोसिएशन या तो कोई
ट्रस्ट बनायेगा अथवा एसोसिएशन के उद्रदेश्यों से मिलते-जुलते
उद़देश्यों की पूर्ति के लिए कार्यरत किसी अन्य संस्था या एसोसिएशन को
हस्तान्तरित कर देगा, पर इस आय का स्पस्ट प्रस्ताव, जो पहले से एजेण्डा
में विज्ञाप्ति एवं प्रसारित किया गया होगा, पास करने का अधिकार साधारण
सभा को होगा। वह चलेगी तो अपने इस अधिकार को प्रतिनिधि सम्मेलन अधिवेशन
को हस्तान्तरित कर सकेगी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति या राष्ट्रीय
कौंसिल इस संबंध मे कोई निर्णय नही ले सकेगी
- एसोसिएशन का विघटन भंग संस्था पंजीकरण अधिनियम १८६ की धारा १३ व १४ को पूरी तरह ध्यान मे रखकर ही होगा ।
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| संविधान या नियमावल में संशोधन |
- एसोसिएशन के ज्ञापन-पत्र् नियम-उपनियम में किसी प्रकार का संशोधन संस्था पंजीकरण अधिनियम १८६ की धरा १२, 12-ए की रोशनी में ही होगा।
- नियमावली संविधान में संशोधन, परिवर्तन तथा
परिवद्धर्न एसोसिएशन का प्रतिनिधि अधिवेशन सम्मेलन द्वारा या उसके द्वारा
अधिकृत होने पर राष्ट्रीय कौसिल के द्वारा ही पारित किया जायेगा।
- इस प्रकार से प्रस्तावित संशोधनों परिवद्धर्नों के
प्रारूप प्रतिनिधि सम्मेलन के प्रतिनिधियो के बीच तथा के सभी प्रान्तीय
एवं जनपदीय शाखाओं के बीच अधिवेशन सम्मेलन से पूर्व कम से कम १ माह
पूर्व प्रचारित किया जायेगें ।
- यदि कोई सदस्य या कमेटी विशेष संशोधनों, परिवर्तन
तथा परिवद्धर्न चाहेगी तो उसके लिए भी अनिर्वाय होगा कि वे अपने द्वारा
प्रस्तावित, संशोधनों, परिवतर्नों तथा परिवद्धर्नो को न केवल राष्ट्रीय
कार्यकारिणी के पास बल्कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के माध्यम से सभी
प्रतिनिधियो में १ माह पूर्व प्रसारित एवं प्रचारित करवाएं।५ ऎसे सभी
संशोधन, परिवतर्न या परिवद्धर्न प्रतिनिधि में उपस्थित प्रतिनिधियों के दो
तिहाई मत पाने पर ही पारित माने जाएंगे।
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| विशेष |
- के महामंत्री सभी सदस्यो का एक रजिस्टर अपने पास सुरक्षित रखेगे।
- प्रत्येक बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी जो वर्ष में
काम कर रही होगी उसके सदस्यो की सूची संस्था पंजिकरण अधिनियम १८६ की धारा ४
के अनुसार संस्था पंजीयक दिल्ली को भेज दी जायेगी।
- संयुक्त राज्य क्षेत्र् दिल्ली में यथा प्रभावी
संस्था पजीकरण अधिनियम १८६ की समस्त धाराए के इस संविधान में नियम उपनियम
में उल्लिखित भावना से तारतम्य रखतें हुए लागु होगी। नोटः- यह संविधान ३१
मई १९८२ की राष्ट्रीय कौंसिल की लेखन में आयोजित बैठक में सर्व सम्मति से
संशोधित व पारित किया गया जो तत्काल से लागू समझा जायेगा। सच्चिदानन्द शिव
शंकर त्रिपाठी महामंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष आवास- ३५- ए दारूलसफा, लखनऊ ।
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