मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की मध्य प्रदेश इकाई भंग


राम गोपाल शर्मा सम्हालेंगें मध्य प्रदेश की कमान 

भोपाल ! देश के पत्रकारों के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन इण्डियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने अपनी म0प्र0 इकाई को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। इसी के साथ ही प्रदेश की सभी जिला इकाइयां भी भंग हो गयी है। फेडरेशन ने म0प्र0 में मृतप्राय हो चुके एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन को संजीवनी देने के लिए प्रदेश की कमान वरिष्ठ एवं अनुभवी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं. राम गोपाल शर्मा को सौंपकर उन्हे अपनी नई टीम बनाने के अधिकार दिए है।
यद्यपि श्री शर्मा ने अभी अपनी टीम की औपचारिक घोषणा नही की है किन्तु आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के इस निर्णय से मध्यप्रदेश के पत्रकार साथी काफी उत्साहित हैं अनेकांे साथियों ने तो अपनी खुशी का इजहार अपनी फेशबुक पर करते हुए आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड के विक्रम राव और महासचिव परमानन्द पाण्डेय को बधाईयां तक दे डालीं है।
उल्लेखनीय है कि आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की म0प्र0 इकाई एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन कुछ वर्षो से संक्रमण काल से गुजर रही थी कतिपय स्वयं  भू नेताओं ने इसे अपना जे.बी. संगठन बना लिया था और पत्रकारों की यूनियन को अपनी स्वयं की जागीर समझ बैठे थे। निरंकुशता की पराकाष्ठा तो तब हुयी जब पिछले महीने राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव को भी अंधेरे में रख राजधानी से  70 कि.मी दूर आष्ठा में गुपचुप तरीके से म0प्र0 इकाई का कागजी निर्वाचन पूर्ण करा लिया गया जिससे प्रदेश के पत्रकार नाराज हो गये।
पिछले महीने की 21 तारीख को राजधानी के पत्रकारों ने स्थानीय पत्रकार भवन में एक आपात बैठक बुलाकर न सिर्फ कागजी नेताओं की जमकर आलोचना की बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व से ऐसे स्वयं भू नेताओं को पद एवं प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त करने की मांग की थी।
यद्यपि इससे पूर्व ही आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के राष्ट्रीय महासचिव परमानन्द पाण्डेय ने 20 नवम्बर को तथाकथित अध्यक्ष जयंत वर्मा और महासचिव दिनेश निगम को कारण बताओं नोटिस भेजकर कागजी निर्वाचन, सदस्यता शुल्क खुर्द-वुर्द करने और यूनियन के नाम पर निजी स्वार्थो की पूर्ति जैसे गंभीर मुद्दों पर 15 दिवस के अंदर जवाब मांगा था। राजधानी के पत्रकारों के सामूहिक विरोध ने इस निर्णय को और पुख्ता बना दिया।
आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के नोटिस को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन अध्यक्ष जयंत वर्मा ने तो दिल्ली पहुंचकर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी सफाई पेश कर दी किन्तु अति उत्साह और घमण्ड के चलते तत्कालीन महासचिव ने कोई जवाब नही दिया और राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते रहे। किन्तु शास्त्रो में कहा गया है कि
अति रूपेण वै सीता, अति गर्वेण रावण:
अति दानात् वलिर्वधो,  अति सर्वत्र वर्जयेत
लिहाजा कल 6 दिसम्बर को ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आई.एफ.डब्ल्यू.जे.  ने न सिर्फ दिनेश निगम को सदस्यता से बर्खास्त कर दिया बल्कि म0प्र0 की सभी जिला इकाइयां भी तत्काल प्रभाव से भंग कर दी है।
म0प्र0 की शिवराज सिंह सरकार की तर्ज पर बुजुर्गो को सम्मान और युवाओं को काम के फार्मूले को अपनाते हुए आई.एफ.डब्ल्यू.जे. ने म0प्र0 की कमान अनुभवी एवं सुलझे हुए व्यक्तित्व को सौंपकर उन्हे फ्री हैण्ड दे दिया है। जिससे प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकारों के साथ-साथ तरूणायी के सक्रिय होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि अब राजधानी ही नही समूचे प्रदेश के पत्रकार नई ऊर्जा  के साथ पत्रकारों के हितो के लिए संघर्षरत दिखायी देंगें।

भवदीय

राजधानी के पत्रकारगण
7 दिसम्बर 2012
विशेष - सुलभ संदर्भ हेतु आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के
तीनो पत्रों की छायाप्रतियां संलग्न है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें