शनिवार, 22 दिसंबर 2012

सीएम को भी ठेंगा दिखाता है जनसंपर्क


सीएम को भी ठेंगा दिखाता है जनसंपर्क

सीएम को भी ठेंगा दिखाता है जनसंपर्क
 (विस्फोट डॉट काम)
भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश में जनसंपर्क संचालनालय में जमकर घमासान मचा हुआ है। जबसे सारी शक्तियां अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा के इर्दगिर्द आकर समटी हैं, तबसे जनसंपर्क संचालनालय में मनहूसियत छाने लगी है। वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अब वर्चस्व की अघोषित जंग तेज हो गई है। इसका सीधा असर भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह सरकार पर पड़ता दिख रहा है।
पिछले दिनों न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस पर मध्य प्रदेश को सम्मानित किया गया। इसकी खबर जनसंपर्क संचालनालय द्वारा जारी ही नहीं की गई जबकि यह मध्य प्रदेश विशेषकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए बहुत गौरव की बात थी। चर्चाओं को सही मानें तो सरकार की छवि चमकाने के लिए पाबंद एमपी पब्लिसिटी डिपार्टमेंट की कमान सत्ता के बजाए संगठन के हाथों में चली गई है जिसके चलते अब विभाग का ध्यान सत्ता के बजाए संगठन की छवि चमकाने में लग गया है। आरोपित है कि इसके पहले दिल्ली स्थित विभाग के कार्यालय द्वारा भी इसी तरह की कवायद की गई थी।
उधर न्यूयार्क में शिवराज सिंह चौहान प्रदेश का डंका पीट रहे थे तो इधर जनसंपर्क गाफिल हो अपने में ही मस्त दिखाई दे रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के प्रभाव से प्रदेश के जनसंपर्क की कमान थामने आये लाजपत आहूजा सीएम से ज्यादा प्रभात झा से अपना रिश्ता ठीक रखना चाहते हैं क्योंकि वे यह जानते हैं कि अगर प्रभात झा का हाथ उनके सिर पर रहेगा तो सीएम भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते। वैसे भी भोपाल के राजनीतिक गलियारों में अक्सर अफवाहें तो उड़ती ही रहती हैं कि अगले चुनाव में सीएम पद पर दावेदारी करने के लिए प्रभात झा अभी से गोटियां बिछा रहे हैं और पहला कब्जा उन्होंने मध्य प्रदेश जनसंपर्क पर किया है ताकि अपनो को उपकृत करने के साथ ही अपनी छवि को चमका सकें। ऐसे में जनसंपर्क अगर सीएम को भी ठेंगा दिखा देता है तो इसमें हर्ज क्या है?

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

फर्जी ''प्रेस'' स्टीकरों वाले वाहनों पर पुलिस का डंडा


Click to Downloadशिमला [रीता वर्मा] राजधानी में प्रैस की स्टीकरों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने वाले वाहनों पर यातायात पुलिस ने डंडा चला दिया है। पुलिस ने अभी तक पांच वाहनों के चालान काटे, जिन्होंने प्रैस के स्टीकर चस्पा रखे थे। जिनके चालान पुलिस ने काटे वे न तो किसी प्रैस में कार्यरत थे और न ही परिवार का कोई और सदस्य प्रैस से संबधित था।

यातायात पुलिस ने इन वाहनों के चालान काट कर सख्त हिदायत दी है कि भविष्य में भी अगर वाहनों पर प्रैस का स्टीकर देखा गया तो कठोर कार्रवाई होगी। वहीं अब पुलिस ने हिमाचल प्रदेश लोक संपर्क विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त 156 मीडिया कर्मियों के वाहनों की सूची को छोड़ अन्य सभी वाहनों पर लगे स्टीकरों को हटाने के लिए निर्देश दे दिए हैं। कई प्रेस से संबंधित पत्रकारों को कार्यालय से कार्ड या स्टीकर जारी हुए हैं, लेकिन इन्हें अब यातायात पुलिस मान्य करार नहीं देगी।

ज्ञातव्य है कि राजधानी प्रैस के स्टीकर चस्पा कर पुलिस की आंखों के धूल झोंकी जा रही है। शहर में आए दिन ऐसे अनेकों वाहन सड़कों पर दौड़ते नजर आते हैं जिन पर प्रैस शब्द लिखा होता है। वाहनों पर प्रैस शब्द का दुरुपयोग करने वाले तथाकथित पत्रकार कई बार अपनी धौंस पुलिस पर भी जमाते हैं। पुलिस भी ऐसे पत्रकारों को सलाम ठोंकती नजर आती है।

पुलिस की मानें तो उनके पास राजधानी में पत्रकारिता व्यवसाय से जुड़े पत्रकारों की सूची उपलब्ध नहीं थी, लेकिन अब उन्होंने मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सूची तैयार कर ली है। शहर के प्रतिबंधित मार्गाे और पार्किग स्थानों पर ऐसे वाहन देखे जा सकते हैं, जिन पर प्रैस का स्टीकर लगा होता है। यातायात पुलिस ने शहर में कुछ दिन से प्रैस की गाड़ियों केदस्तावेजों का निरीक्षण किया और जिन वाहनों के पास प्रैस से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं था उनके चालान काटे गए है। उन सभी फर्जी पत्रकारों की सूची तैयार कर यातायात पुलिस ने तैयार कर ली है।

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

जनसंपर्क की विज्ञापन शाखा एक मजबूरी लाजपत आहूजा या भाजपा की


जनसंपर्क की विज्ञापन शाखा एक मजबूरी लाजपत आहूजा या भाजपा की

लाजपत आहूजा

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नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में भले ही अपराधियों, भ्रष्टाचारियों और बलात्कारियों के मामले हर रोज उजागर हो रहे हैं लेकिन विकास और जन कल्याण के क्षेत्र में व्याप्त भारी निराशा के बाद भी भाजपा ने जनसंपर्क विभाग की पीठ पर सवार होकर चुनाव की वैतरणी पार करने की व्यूह रचना की है। इसी के तहत सबसे पहले अखबारों को सरकारी विज्ञापन का चाबुक दिखाकर अपने कब्जे में करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। जनसंपर्क विभाग के सर्वाधिक रसूखदार और अमीर अपर संचालक लाजपत आहूजा को इसी रणनीति के अंतर्गत हाल ही में विज्ञापन के साथ-साथ समाचार शाखा का प्रभार भी सौंपा गया है।
दरअसल इन्हीं दो शाखाओं में जनसंपर्क विभाग समाहित है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार इस तरह विज्ञापन और समाचार शाखा एक ही अधिकारी के हाथों में सौंपी जा रही है।
यूं तो जनसंपर्क विभाग में कई अपर संचालक हैं, किंतु लाजपत आहूजा भारतीय जनता पार्टी का सर्वाधिक चहेता अधिकारी है। फर्क इतना ही है कि वह भाजपा के कार्यालय दीनदयाल परिसर की बजाय जनसंपर्क संचालनालय में बैठते है। भाजपा सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल में सरकारी विज्ञापन के कुबेर के खजाने की चाबी कमोबेश आहूजा की जेब में ही रही है। पूर्व मुख्य सचिव राकेश साहनी भी इस अधिकारी के साथ बहुत कृपालु थे। फलस्वरूप अघोषित रिश्तों के कारण उनके कार्यकाल में तो इसकी सभी उंगलिया घी में डूबी रहती थीं। सरकारी विज्ञापनों को एक ''काले धंधे'' में परिवर्तित करने में लाजपत आहूजा का बड़ा योगदान रहा है। सरकारी विज्ञापन के बल पर कई ''नाकुछ'' तथाकथित बैठकबाज पत्रकारों को करोड़पति बनाने का श्रेय इसी अधिकारी को है। भाजपा को यह अधिकारी इतना रास आ गया है कि जनसंपर्क विभाग चाहे किसी भी मंत्री के पास क्यों न रहा हो, ढे़र सारी शिकायतों के बाद भी कोई उसके अंगदी पैर को विज्ञापन शाखा से एक इंच भी हिला नहीं पाया। पत्रिका अथवा अखबार की 100 प्रतियां छपवाकर 25 से लेकर 50 हजार तक का सरकारी विज्ञापन झटक लेने का गोरखधंधा आहूजा के कार्यकाल में ही पनपा है और अब तो वह पूरे शबाब पर है। लोग आहूजा को जनसंपर्क विभाग में ''लॉ और आर्डर'' का जनक भी कहते हैं। अब तो हजारों तथाकथित पत्रकार आहूजा की कृपा की ही रोटी खा-पचा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लाजपत आहूजा को विज्ञापन और समाचार शाखा का एक साथ प्रभार भाजपा के मुख्यालय में बनी गुप्त रणनीति के तहत सौंपा गया है। समाचार शाखा के प्रभारी अपर संचालक के रूप में आहूजा अब हर दिन निगरानी रखेगा कि किस अखबार ने भाजपा और उसकी सरकार के बारे में क्या तथा कैसा छापा है। यह निश्चित है कि जो अखबार नकारात्मक समाचारों और टिप्पणियों के द्वारा भाजपा सरकार की विफलताओं को जनता के सामने लाने का दुस्साहस करेंगे, उन्हें आहूजा की विज्ञापनी कृपा के लिए निश्चित ही तरसना पड़ेगा। अब आहूजा के जरिये राज्य सरकार का एक ही सूत्र काम करेगा-''भाजपा और उसकी सरकार के भले की बात छापो, अन्यथा रस्ता नापो।'' भविष्य में रात को दिन और स्याह को सफेद बताने वाले अखबारों को ही सरकारी विज्ञापन मिलेंगे, जनसंपर्क विभाग की इस नई प्रशासनिक व्यवस्था ने बड़ी बेशर्मी के साथ यह तय कर दिया है। कांग्रेस इसको भाजपा सरकार द्वारा लादी गई ''अघोषित सेंसरशिप'' मानती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री भूरिया ने आगे कहा है कि जनसंपर्क विभाग के बजट में विज्ञापन मद में हर साल जो अरबों का प्रावधान किया जाता है, वह सरकार की योजनाओं और सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए है। जनसंपर्क विभाग इस बजट से यह बुनियादी काम न करते हुए भारतीय जनता पार्टी को चुनावी लाभ पहुंचाने वाले विज्ञापन जारी करके शासकीय धन का आपराधिक दुरूपयोग कर रहा है। दरअसल यह बजट जनसंपर्क विभाग का खुद का न होकर विभिन्न विकास विभागों के प्रचार मद को काटकर जनसंपर्क विभाग को स्व। अर्जुनसिंह के मुख्य मंत्री काल में सौंपा गया बजट है। इस निर्णय के पीछे उद्देश्य यह था कि जनसंपर्क विभाग योजना मूलक प्रचार करेगा, किंतु विज्ञापनों के जरिए ऐसे प्रचार की बजाय अधिकांश बजट मुख्य मंत्री और मंत्रियों तथा भाजपा की छवि सुधारने पर खर्च हो रहा है। 
(यह समाचार मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से है)
(न्यूज मेकर इंडिया)