सोमवार, 17 दिसंबर 2012

असली और नकली पत्रकारों के बीच जमीनखोर



असली और नकली पत्रकारों के बीच जमीनखोर
 अनुराग उपाध्याय
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तुम आसमा की बुलंदियों से जल्द लौट आना,
हमें दो जमीन के मसाले पर बात करना हैं |

यह शेर यूँ ही याद नहीं आया, भोपाल में गरीब पत्रकारों को मिलने वाली जमीन हड़पने की बात आई तो तमाम सारे वे नकचढ़े लोग जमीन पर आ गए हैं जो हमेश आसमान में रहा करते थे। एकदम ज़मीन के लिए वैसे ही टूट पड़े हैं जैसे गिद्ध या चील लाश पर टूट पड़ते हैं। जब-जब नियत में खोट हो तो ऐसी उलटबांसी देखने को मिल जाती हैं। भोपाल में राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था में इस समय घमासान मचा हुआ हैं। यहाँ कुछ प्रेस मालिक, सम्पादक सरकारी अधिकारी और कुछ बड़े पत्रकार एकदम जमीनखोर हो गए हैं। एक-एक प्लाट के लिए मारामारी मची हुई हैं। संस्था के अध्यक्ष रामभुवन सिंह कुशवाह ने प्लाट ले लिया। अपने पत्रकार बेटे अनिल सिंह कुशवाह को प्लॉट दिलवा दिया और अपने दूसरे बेटे विजय सिंह को प्लॉट दिलवाने के लिए उसके पिता की जगह शिवराज के डंपर कांड से प्रेरणा लेकर आर.बी.सिंह लिख दिया।आपको याद होगा डंपर कांड में शिवराज की जगह एस,आर,सिंह लिखा गया था | यह हैं जमाने को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालो की सच्चाई। अपने ही गरीब गुरबे साथियों के हक़ पर कुछ लोग कुंडलिया मार के बैठ गए हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सालो से सरकारी मकानों में कब्जा जमाये पत्रकारों और गरीब श्रमजीवी पत्रकारों के लिए सस्ते में ज़मीन देने की पहल की। पहले अभिव्यक्ति गृह निर्माण सहकारी समिति में लगभग सौ पत्रकारों को जमीन दी गई, उसके बाद राजधानी पत्रकार ने काम शुरू किया। इस संस्था का शुरू में काम तो ठीक चला लेकिन बाद में इसमें जमीन माफिया ने पत्रकार के रूप में प्रवेश कर लिया। एकदम परकाया प्रवेश की तरह। राम नाम की लूट मच गई। अध्यक्ष ने अपने बेटो को प्लॉट दे दिए, कई सरकारी अफसर और उनके नातेदार पत्रकारों के भेष में नजर आने लगे। हालात इतने बिगड़ गए कि संस्था के चुनाव में घमासान मच गया। शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव राजस्व और लोकायुक्त तक पहुँच गई। उम्मीद की जाना चाहिए कि जांच में दूध का दूध होगा और गरीब पत्रकार और ज़मीन माफिया पत्रकार के बीच की जंग निर्णायक साबित हो जाएगी।
शलभ भदौरिया, मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हैं। वह कहते हैं पहले पत्रकार कालोनी में गड़बड़ हुई थी, तब देवेन्द्र खरे जैसे पत्रकार को जेल जाना पड़ा था। अब जो कुछ राजधानी पत्रकार सहकारी समिति में चल रहा हैं इसमें भी जो गड़बडिया हुई हैं उसके चलते यहाँ भी कई लोग जेल जायेंगे।

शलभ भदौरिया कहते हैं 1996 में हमने सरकार से कहा था पत्रकारों को सरकारी माकन में रहने का शौक नहीं हैं, श्रमजीवी पत्रकारों को सस्ते में जमीन दी जाए। अब जमीन दी गई तो श्रमजीवी पत्रकारों की जगह अखबार मालिक, सम्पादक, कुछ जमीन चाहने वाले अधिकारी इसमें घुस गए। सारे रैकेटियर लोगो का जमावड़ा हो गया हैं। ज़मीन की बंदरबांट हो गई हैं।पूरे मसले में शलभ भदौरिया एक-एक आदमी के शपथ-पत्र की जांच करवाने की मांग कर रहे हैं ताकि गरीब श्रमजीवी पत्रकारों को उनका हक़ मिल सके।

राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति में मचे घमसान का सूत्रधार दैनिक छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ अतुल पुरोहित और स्वदेश के डॉ. नवीन जोशी को माना जा रहा हैं। अतुल पुरोहित कहते हैं-"यह लड़ाई बहुत आगे तक जायेगी। अध्यक्ष ने खुद प्लॉट लिया बेटो को दे दिया, भाई, भतीजे, बेटा, बेटी, पत्नी, अखबार मालिक, बिल्डर क्या इनके लिए सरकार ने जमीन दी हैं? पत्रकारों की जमीन मूल पत्रकार छोड़ सबको बाँट दी गई हैं।"
स्वदेश के डॉ. नवीन जोशी कहते हैं-"क्या गड़बड़ी नहीं हुई, असल पत्रकारों के साथ नाइंसाफी हो रही हैं। ऐसे नाम हैं जिनका पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं हैं। दीपा ज्ञानचंदानी, राजकुमारी चौटरानी, दैनिक नई दुनिया के चारो मालिको को जमीन दी जा रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह दूसरी पत्रकार कालोनी में जमीन ले चुके हैं। उनको, उनके बेटे राहुल सिंह को जमीन दी जा रही हैं। ऐसे लोगो के शपथ पत्रों की जांच हो और असल पत्रकारों को जमीन दी जाए। जमीन से जुड़े पत्रकार सीताराम ठाकुर कहते हैं-"वास्तविक पत्रकारों को उनका हक़ मिले और राजधानी पत्रकार में फर्जीवाडे के दोषी सामने आये। मैं कलेक्टर, मुख्य सचिव राजस्व से पूरे घोटाले की जांच की मांग कर रहा हूँ।"
राजधानी पत्रकार गृहनिर्माण सहकारी संस्था खड़ी करने वाले सेन्ट्रल प्रेस क्लब के वरिष्ठ पत्रकार विजय दास कहते हैं-"कोई संस्था सौ प्रतिशत सही काम नहीं करती। जिन गड़बडियों की बात की जा रही हैं उसे ठीक किया जाएगा। अच्छा हैं इलेक्शन हो रहे हैं, कई सोसायटियों में तो 12 सालो से चुनाव तक नहीं हुए हैं। हम तो यही चाहते हैं मनमुटाव न हो, जो पात्र हैं उन्हें ही ज़मीन दिलाई जायेगी। हमारा सेन्ट्रल प्रेस क्लब का पैनल मैदान में हैं।"
इस मामले में कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री और लोकायुक्त तक शिकायते की गई हैं और कहा गया हैं कि सहकारिता कानूनों की धज्जिया कैसे उड़ती हैं। यह देखना हैं तो राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समित के कारनामे देख ले। इस शिकायत में कहा गया हैं कि माध्यम दर्जे के असल पत्रकारों को दी जाने वाली जमीन हड़पने के लिए सौ से ज्यादा लोगो ने झूठे शपथ-पत्र दिए हैं। यहाँ गरीब पत्रकारों के प्लॉट नवभारत के मालिक सुमित महेश्वरी, संध्या प्रकाश के मालिक भरत पटेल, स्वदेश के मालिक राजेंद्र शर्मा, अक्षत शर्मा, देशबंधु के मालिक पलाश सुरजन दैनिक नई दुनिया के मालिक राजेंद्र तिवारी, सुरेन्द्र तिवारी, उनके बेटे अपूर्व तिवारी और विश्वास तिवारी हैं। ई एम एस के मालिक सतन जैन, उनके बेटे सौरभ जैन और प्रदेश टाइम्स के अजय हीरो ज्ञानचंदानी को दिए जा रहे हैं। इन लोगो को श्रमजीवी पत्रकार कैसे माना जा सकता हैं। इन लोगो के कारोबारों और संपत्तियों की जांच की मांग मुख्यमंत्री से की गई हैं।

वही मुख्यमंत्री और लोकायुक्त को की गई एक अन्य शिकायत में कहा गया हैं कि मुख्यमंत्री निवास पर तैनात तीन अधिकारी भी पत्रकारों की जमीन हड़पना चाहते हैं। इन्हें दी गई सूची में कहा गया हैं कि आला दर्जे के सरकारी अफसरान कैसे राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति में घुस गए इसकी जांच बेहद जरुरी हैं क्योंकि राजधानी पत्रकार गृह निर्माण के नाम पर कोई भू-माफिया सोची समझी साजिश के तहत पत्रकरों को उनके हक़ से महरूम कर रहा हैं। इन अधिकारियो की चल-अचल संपत्ति की जांच की मांग के साथ इनकी सूची और इनकी जमीन मकानों की जानकारी भी दी गई हैं।

यह अधिकारी हैं- पुष्पेन्द्र शास्त्री, प्रकाश दीक्षित , डॉ कमर अली शाह, आशिक मनवानी , उमा भार्गव , आर. एम. पी. सिंह, रोहित मेहता, शांता/प्रतिश पाठक, आस्था/लाजपत आहूजा, शोभा साकल्ले , रवि उपाध्याय, असीम/ताहिर अली, हर्षा/रामू मारोड़े, अर्चना/सुरेश गुप्ता, श्वेता/रविन्द्र पंड्या, अंजना, वनिता श्रीवास्तव IAS की पत्नी , अनिल खन्ना एस बी आई अधिकारी रिटायर्ड |
जमीन के लिए मची धामा चौकड़ी में सब अपने-अपने हित साधने में लगे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जब राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति को जमीन देने को कहा था तो यह स्पष्ट कर दिया था कि इसमें लगभग 40 कैमरामैन को प्लॉट दिए जाए लेकिन हुआ इसका उल्टा। इनकी जगह भर लिया गया अखबार मालिको और सरकारी अफसरों को। इसी बात को लेकर पत्रकारिता से सम्बन्ध और असंबंध लोगो के बीच भिडंत हो गई और राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था एक अखाड़े में तब्दील हो गई।

सहकारिता से जुड़े लोग कहते हैं कि अगर इस मामले ने तूल पकड़ा तो कई सरकारी अफसरों को लानत का शिकार बनना पड़ेगा और कई लोग सीखचों में भी नजर आ सकते हैं। जाहिर हैं जमीन हमेशा झगड़े की जड़ बनी हैं तो इस बार भी...! लेकिन मामला असली और नकली पत्रकारों का हैं तो बात बहुत दूर तक जाएगी।

पत्रकारिता लोक जागरण का अनुष्ठान है - राज्यपाल श्री यादव



पत्रकारिता लोक जागरण का अनुष्ठान है - राज्यपाल श्री यादव

राजधानी पत्रकार गृह निर्माण संस्था का भूमि-पूजन समारोह सम्पन्न


राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि पत्रकारिता लोक जागरण का अनुष्ठान है। युवा पत्रकारों पर इस देश की एकता को बचाए और बनाये रखने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि लोक मंगल के लिए काम करना ही मीडिया का दायित्व है। मीडिया की पारम्परिक संस्कृति और इतिहास इसे आम आदमी की वाणी बनने की सीख देते हैं। राज्यपाल श्री यादव आज यहाँ सेंट्रल प्रेस क्लब की सहयोगी संस्था राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था के भूमि-पूजन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

ज्ञातव्य है कि सेंट्रल प्रेस क्लब ने पत्रकारों की आवास समस्या को हल करने के लिए राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था का गठन किया था। राज्य शासन द्वारा संस्था के 208 श्रमजीवी पत्रकारों के आवास निर्माण के लिए गांधीनगर बायपास एयरपोर्ट रोड, संजीव नगर के पीछे, नेवरी गाँव में 11.68 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। पूर्व में राज्यपाल श्री यादव ने पारम्परिक रीति-रिवाजों के अनुसार भूमि-पूजन किया।

राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि पत्रकार समाज को दिशा-निर्देश देने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। अतः शासन को भी उनकी समस्याओं के बेहतर समाधान के लिए हरसम्भव मदद करना चाहिए। श्री यादव ने पत्रकारों से आग्रह किया कि समाचारों के प्रकाशन के पूर्व तथ्यों और सत्यता का परीक्षण करते रहने से साख और विश्वसनीयता बनी रहती है।

पर्यावरण मंत्री श्री जयंत मलैया ने कहा कि पत्रकारों को आवास निर्माण के कार्य में अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाने के लिए शासन भू-खण्ड के अधोसंरचनात्मक विकास के कार्यों को अधिकतम रियायती दरों पर करवाने की पहल करेगा। उन्होंने समिति के सदस्य पत्रकारों से कहा कि वे भवन निर्माण में एकरूपता बनाये रखें।

पूर्व में संस्था के अध्यक्ष और दैनिक नई दुनिया के वरिष्ठ पत्रकार श्री के.डी.शर्मा ने गृह निर्माण समिति के गठन और उसकी गतिविधियों का ब्यौरा दिया। राष्ट्रीय हिन्दी मेल के सम्पादक श्री विजय कुमार दास ने स्वागत भाषण दिया और समारोह का संचालन किया। स्वदेश के सम्पादक श्री अक्षत शर्मा ने आभार माना। इस अवसर पर जनसम्पर्क आयुक्त श्री राकेश श्रीवास्तव और बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थे।


शनिवार, 15 दिसंबर 2012

सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक का हो रहा प्रतिमाह 51 हजार का टीका!


सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक का हो रहा प्रतिमाह 51 हजार का टीका!

 (राजेश शर्मा)
भोपाल। मध्य प्रदेश में सूबे की जनता को जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद मध्य प्रदेश जनसंपर्क सांचलनालय पिछले लंबे अरसे से चर्चा का केंद्र बिन्दु बना हुआ है। कहा जा रहा है कि जनसंपर्क विभाग में सरकार पर संगठन बुरी तरह हावी हो चुका है। एक तरफ सूचना सहायकों द्वारा पीआरओ का काम किया जा रहा है वहीं जनसंपर्क अधिकारी संघ इस बारे में सरकार से मांग करने के स्थान पर पत्रकारों को असली और फर्जी में उलझाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है।
राजधानी में बाणगंगा स्थित जनसंपर्क संचालनालय के आयुक्त के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आयुक्त की रजामंदी के बिना संगठन के दबाव में एक अतिरिक्त संचालक की सेवा निवृत्ति के काफी बाद उनकी सेवाएं एक बार फिर कांट्रेक्ट पर विभाग को सौंप दी गई है।
अपने सेवाकाल में चर्चाओं और विवादों के केंद्र बिन्दू रहे उक्त अधिकारी को सरकार के बजाए संगठन की सेवा के पारितोषक के बतौर उनकी सेवाएं विभाग को सौंपे जाने की तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कहा जा रहा है कि बिना किसी प्रभार वाले उक्त अधिकारी को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग से इक्यावन हजार रूपए प्रतिमाह का मानदेय भी प्रदाया किया जा रहा है।
जनसंपर्क विभाग में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार उक्त अधिकारी अपने सेवाकाल के अंतिम दिनों में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुख्य सचिव के.एस.शर्मा के करीबी रहे तो भाजपा के आते ही उक्त अधिकारी ने अपना पाला बदल लिया और वे संगठन के तारणहार बन गए। उक्त अधिकारी के द्वारा सरकारी काम से ज्यादा दिलचस्पी संगठन के कामों में लिए जाने संबंधी खबरें भी सुर्खियां बनी थीं।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश भर में अनेक जिले एसे हैं जहां जिला जनसंपर्क अधिकारियों की पदस्थापना नहीं होने से वहां पीआरओ का काम सूचना सहायक ही प्रभारी के बतौर कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि जनसंपर्क अधिकारी संघ ने पिछले दिनों सीएम, जनसंपर्क मंत्री और मुख्य सचिव को जो ज्ञापन सौंपा था उसमें फर्जी पत्रकारों पर चिंता जाहिर की थी। जनसंपर्क संचालनालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार जनसंपर्क अधिकारी संघ अगर इसके साथ ही साथ मुख्यालय में अधिकारियों की भरमर के बाद पुनः 51 हजार रूपए में छः माहों के लिए सेवाएं लेेने की बात और प्रदेश में जनसंपर्क अधिकारियों की भर्ती की बात उठाता तो बात हजम होती।
जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेब साईट में बेतूल, हरदा, विदिशा, शाजापुर, मंदसौर, नीमच, दतिया, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, पन्ना, टीकमगढ़, सतना, अनुपपुर आदि जिलों में ना तो सहायक संचालक पदस्थ हैं ना ही कोई और यहां का प्रभार और जिलों में जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का काम सूचना सहायक या सहायक सूचना अधिकारी संभाले हुए हैं।
चर्चाओं के अनुसार जनसंपर्क विभाग में खाली दिमाग शैतान का घर के लिए विख्यात कुछ विघ्न संतोषियों द्वारा विभाग के बारे में सोचने के बजाए अपनी दुकान कैसे चले इस बारे में ही तिकड़म लगाईं जाकर जनसंपर्क अधिकारी संघ का दुरूपयोग किया जा रहा है। प्रदेश में जहां अनेक पीआरओ का काम सूचना सहायक चला रहे हों, इसके लिए आवाज उठाने के बजाए रक्षात्मक मुद्रा में आया अधिकारी संघ भी उपहास का ही पात्र बन चुका है।
(साई)