गुरुवार, 21 मार्च 2013

क्या पीआरओ का काम अखबार गिनना है!


    (अखिलेश दुबे)

सिवनी । मध्य प्रदेश सरकार की जनहितकारी योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने के लिए पाबंद जिला जनसंपर्क कार्यालय का काम क्या महज अखबारों को गिनना है? क्या शासन, प्रशासन और मीडिया के बीच सामंजस्य बिठाने का काम उनके कर्तव्यों में शामिल नहीं है? सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी में उक्ताशय की बात सामने आई है।

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का जिला जनसंपर्क कार्यालय किस कदर मटरगश्ती के आलम में है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पदस्थ लगभग नब्बे प्रतिशत स्टाफ पच्चीस साल सेभ्ज्ञाी अधिक समय से यहीं पदस्थ है। आरोपित है कि जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा पत्रकारों के साथ मुंहदेखा व्यवहार किया जा रहा है।

बहरहाल, सूचना के अधिकार कानून के तहत निकाली गई जानकारी में सिवनी में अनेक हैरत अंगेज जानकारियां सामने आई हैं। दैनिक समाचार पत्रों में किसी की तीन तो किसी को दो प्रतियां प्रतिदिन प्राप्त होना जिला जनसंपर्क कार्यालय द्वारा दर्शाया गया है।

मजे की बात तो यह है कि फरवरी माह में आठ तारीक के कालम में जिला जनसंपर्क कार्यालय में प्राप्त समाचार पत्रों की संख्या शून्य एवं उसके स्थान पर बीच में एक जगह कर्फ्यू दर्शाया गया है। इसका मतलब साफ है कि 7 फरवरी की रात्रि लगाए गए कर्फ्यू के उपरांत 8 फरवरी को सिवनी शहर में प्रेस पर अघोषित सैंसरशिप लगा दी गई थी। इस दिन अखबार बटने परभ्ज्ञाी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

देखा जाए तो यह प्रेस की स्वतंत्रता के साथ जिला प्रशासन द्वारा किया गया खिलवाड़ है। यह प्रेस की स्वतंत्रता का हनन है। इस सबके बावजूद जिला जनसंपर्क कार्यालय सिवनी द्वारा ना तो जिला कलेक्टर से इस बावत कोई पत्रव्यवहार किया और ना ही अपने उच्चाधिकारियों को प्रेस के साथ हुई इस नाईंसाफी से आवगत करवाया गया।

हालात देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जिला जनसंपर्क अधिकारी का काम सरकारी समाचारों का ईमेल के माध्यम से बिना जांचे पढ़े संप्रेषण और उनके कार्यालय में आने वाले समाचार पत्रों की गिनती का ही रह गया है। पत्रकार जगत के अधिकार कर्तव्य उन्हें होने वाली असुविधा परेशानी से पीआरओ कार्यालय को कोई सरोकार नहीं बचा है।

आइसना पत्रकार संगठन की बैठक में गाडरवारा कार्यकारिणी घोषित

सलामत खान  प्रदेश सचिव एवं नीरज राय को जबलपुर संभागीय संयोजक की जम्मेदारी सौंपी

आइसना गाडरवारा इकाई के अश्विनी जैन अध्यक्ष, सतीश लमानिया उपाध्यक्ष, प्रहलाद कौरव सचिव एवं मेजर राकेश शर्मा संयोजक बने

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गाडरवारा। देश के सबसे बड़े पत्रकारों के संगठन आइसना की गत दिवस गाडरवारा स्थित गेस्ट हाउस में तहसील स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई जिसकी अध्यक्षता भोपाल से पधारे आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसियन आइसना के प्रान्तीय महासचिव विनय जी. डेविड ने की इस अवसर पर तहसील स्तर कार्यकारिणी के चुनाव सम्पन्न हुए जिसमें सर्वसम्मति से अश्विनी जैन अध्यक्ष, सतीश लमानिया उपाध्यक्ष, प्रहलाद कौरव सचिव, मेजर राकेश शर्मा संयोजक, राजीव जैन सहसचिव, शैलेन्द्र जैन सहसचिव, अरूण श्रीवास्तव, राजेश शर्मा संगठन सहसचिव, जगदीश राव कोषाध्यक्ष, पवन प्रतवानी मीडिया प्रवक्ता, कार्यकारिणी सदस्यों में प्रदीप चौकसे, यशवंत कौरव, आनन्द अवस्थी, मनोज कौरव, नरसिंहपुर के सलामत खान को प्रदेश सचिव एवं नीरज राय को जबलपुर के संभागीय संयोजक के पद पर नियुक्त कर संभागीय जिम्मेदारी सौंपी गयी। इस अवसर पर वरिष्ठ एवं युवा पत्रकारों की उपस्थिति सराहनीय रही। 

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बुधवार, 13 मार्च 2013

भोपाल वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन आई.एफ.डब्ल्यू. जे. का निर्वाचन कार्यक्रम घोषित


भोपाल वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन आई.एफ.डब्ल्यू. जे. का निर्वाचन कार्यक्रम घोषित

प्रकाशनार्थ

भोपाल वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन आई.एफ.डब्ल्यू. जे. का निर्वाचन कार्यक्रम घोषित

भोपाल। एम.पी. वर्किग जर्निलस्ट यूनियन आई.एफ.डब्ल्यू.जे. की भोपाल इकाई का निर्वाचन कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार आगामी 5 अप्रैल 2013 को नामांकन पत्र प्रस्तुत किये जा सकेगेँ। जिनकी छानबीन 7 अप्रैल 2013 को होगी। नाम वापसी की तिथि 9 अप्रैल 2013 होगी और यदि आवश्यक हुआ तो 14 अप्रैल को विधिवत चुनाव सम्पन्न कराये जावेंगें।
निर्वाचन अधिकारी प्रेम नारायण प्रेमी तथा अवधेश भार्गव ने बताया है कि निर्वाचन कार्यक्रम की सूचना पत्रकार भवन के सूचना पटल पर भी चस्पा कर दी गई है। निर्वाचन अधिकारियों ने यह भी बताया है कि 10 मार्च 2013 तक की सूची के आधार पर ही निर्वाचन संपन्न होंगें। 

निर्वाचन अधिकारी
प्रेमनारायण प्रेमी
अवधेश भार्गव
9039727270

मंगलवार, 12 मार्च 2013

गलत खबर के लिए संपादक होंगे ज़िम्मेवार


संपादक होंगे ज़िम्मेवार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है है कि किसी भी गलत खबर के लिए संपादकजिस का नाम छपता है संपादक के रूप मेंवो जिम्मेवार होगा।प्रधान संपादक या प्रबंध संपादक तब जिम्मेवार होंगे जब उन के खिलाफ कोई अलग से शिकायत हो।
ये फैसला न्यायमूर्ति सीके प्रसाद और वीजी गौड़ की अदालत ने दिया है। ये रही पूरी खबर…

The Editor of a newspaper shall be responsible in any civil or criminal case filed against it for publishing false or offensive news report, the Supreme Court held Monday.
A bench of justices C K Prasad and V G Gowda said that the Editor controls the selection of the matter that is published and he cannot be exempted from proceedings on the ground that the alleged offensive news was published without taking his permission.
“From the scheme of the Press and Registration of Books Act, it is evident that it is the editor who controls the selection of the matter that is published in a newspaper. Further, every copy of the newspaper is required to contain the names of the owner and the Editor and once the name of the Editor is shown, he shall be held responsible in any civil and criminal proceeding,” the bench said.
The court dismissed the plea of Editor of Gujarati daily newspaper Sandesh who sought quashing of proceedings against him on the ground that he was not responsible for a publication of a defamatory news story in 1999 and decision to publish the story was taken by a Resident Editor.
“A news item has the potentiality of bringing doom’s day for an individual. The Editor controls the selection of the matter that is published. Therefore, he has to keep a careful eye on the selection. Blue-penciling of news articles by any one other than the Editor is not welcome in a democratic polity. Editors have to take responsibility of everything they publish and to maintain the integrity of published records,” the bench said.
“It is apt to remind ourselves the answer of the Editor of the Scotsman, a Scottish newspaper. When asked what it was like to run a national newspaper, the Editor answered, 'run a newspaper! I run a country'. It may be an exaggeration but it does reflect the well known fact that it can cause far- reaching consequences in an individual and country’s life,” the bench said.
The court passed the order on a appeal filed by the then Executive Magistrate in Vadodara who approached the apex court against the Gujarat High Court's verdict for quashing proceedings against the Editor.
The Magistrate had filed a complaint against the Editor and Resident Editor of the daily for publishing an alleged false news story about his “illicit relations with the wife of a doctor” in 1999.
The Editor then approached the High Court which had quashed the proceedings against him. But the apex court set aside the High Court's order.
“At this stage, it is impermissible to go into the truthfulness or otherwise of the allegation and one has to proceed on a footing that the allegation made is true. Hence, the conclusion reached by the High Court that there is nothing in the complaint to suggest that the petitioner (Editor) was aware of the offending news item being published or that he had any role to play in the selection of such item for publication is palpably wrong,” the bench said.
(Courtesy:PTI)

गुरुवार, 7 मार्च 2013

पत्रकारों की नेतागिरी की आड़ में दलाली का घिनौना षडय़ंत्र


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मध्यप्रदेश की पत्रकारिता बाजारवाद की गंदगी से सराबोर है। तीसरे दर्जे की राजनीति के षडयंत्रों से घिरी इस पत्रकारिता को दलालों के गिरोह ने फुटबॉल बनाकर रख दिया है। जो ईमानदार पत्रकार अपनी लेखनी की पूजा करते हैं और सामाजिक विद्रूपताओं को उजागर करते हैं वे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इसकी तुलना में वसूली का कारोबार करने वाले विज्ञापन के एजेंटों की पौ बारह है। यही कारण है कि अधिकतर पत्रकार या तो पीआरओ बनते जा रहे हैं या फिर विज्ञापन एजेंट। इसी तरह विज्ञापन एजेंटों ने पत्रकारों की कुर्सियां हथिया लीं हैं और अब तो वे भ्रष्ट अफसरों की कृपा से पत्रकारों के नेता तक बन गए हैं। नेताई पत्रकारों के फार्मूलौं के कारण सरकार जनता के खजाने से नेताई पत्रकारों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रही है लेकिन पत्रकारों का शोषण करने वाले ये सत्ता के दलाल इन संसाधनों को पत्रकारों तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं।
पत्रकारों की ये रसद बीच में ही गड़प कर जाने वाले इन सत्ता के दलालों को मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के कुछ अफसरों ने अपना एजेंट बना रखा है। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारों की नीतियों को भ्रष्टाचार की गटर गंगा में बहाने वाले इन दलालों को पत्रकारों के एक स्वयंभू नेता ने अपनी सत्ता चमकाने के लिए पनाह दी थी। 
जनसंपर्क विभाग के भुगतानों की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराई जाए तो नपुंसक राजनीति की पोल आसानी से खोली जा सकती है। पत्रकारों के नाम पर चलाई जा रही इस घटिया राजनीति को जनसंपर्क विभाग के अधिकारी आसानी से समाप्त कर सकते थे लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए इन दलालों को भरपूर पनाह दी। अब यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अप्रैल में होने वाली पत्रकार पंचायत में इस दलाल के काले कारोबार पर सवाल उठेंगे इस दलाल का धंधा बंद हो सकता है। वास्तव में पत्रकारों का शोषण करने वाला ये दलाल पत्रकारिता छोडक़र सब करता है।
जब मुख्यमंत्री जी ने पत्रकार पंचायत की घोषणा की तो जनसंपर्क विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और बाबुओं को भय सताने लगा कि कहीं उनकी पोल न खुल जाए। उन्होंने आनन फानन में इस दलाल के माध्यम से इसके नकली संगठन के कुछ पत्रकारों की बैठक बुलवाई। इन पत्रकारों की भोजन व्यवस्था भी इन्हीं भ्रष्ट अफसरों ने ही करवाई थी। इस बैठक में पत्रकारों की कथित कार्यसमिति के नाम से पत्रकार पंचायत का विरोध करने की रणनीति बनाई गई। कि बड़े समाचार पत्रों और चैनलों के पत्रकार तो पंचायत में आएंगे नहीं। जबकि सच ये है कि इसी गिरोह ने कुछ तथाकथित बड़े पत्रकारों को भयभीत किया गया कि वे पत्रकार पंचायत का विरोध करें।
यदि पंचायत होगी तो फिर बड़े पत्रकारों को दिए गए विज्ञापन और सत्कार के देयकों की पोल भी खुलेगी। इसके बाद पूरी दुनिया में पत्रकारों के भ्रष्टाचारों की कहानियां छपेंगी। बड़े कहे जाने वाले कुछ भ्रष्ट पत्रकारों ने जनसंपर्क विभाग से लाखों रुपयों के भुगतान प्राप्त किए हैं इसलिए वे भी धीरे धीरे सुर में सुर मिलाने के लिए मजबूर हो गए हैं। जनसंपर्क विभाग और सरकार के कुछ नेता भी भेडियों के इसी सुर में सुर मिला रहे हैं क्योंकि उन्हें भय है कि यदि जनसंपर्क के बजट में भ्रष्टाचार की कहानियां खुलेंगी तो उनकी भी राजनीति चौपट हो जाएगी। इसलिए वे भी मंत्रियों के सहयोग से मुख्यमंत्री जी की ईमानदार पहल का विरोध करने में लग गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री जी अपनी ही सरकार के खिलाफ रची गई इस साजिश का शिकार होने से खुद को जरूर बचा लेंगे।