सोमवार, 5 नवंबर 2012

आइसना का इतिहास

आइसना का इतिहास

 
आल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन का रजिट्रेशन 3 मार्च 1982 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस संगठन का नामकरण करने और रजिट्रेशन कराने के लिए कई प्रदेशों के लघु समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों की बैठक 127 नाथर् एवन्यू नई दिल्ली दो दिन के लिए आहुत की गई थी। इस बैठक में देश के लघु समाचार पत्रों की समस्याओ के संम्बध में विशेंष रूप से चर्चा श्री भगवत चरण की अध्यक्षता में की गई श्री योगेन्दे मिश्र के संयोजन में इस सभा का संचालन किया गया। श्री मिश्र ने प्रस्‍ताव रखा कि इस समय पूरे देश में लघु समाचार पत्रों का कोई सक्रिय संगठन नही है जिसके कारण सभी प्रदेशों के लघु समाचार पत्रो को अछूत के रूप में देखा जा रहा है। श्री शिव शंकर त्रिपाठी जी ने विस्तार रूप से सभी प्रदेशों के लघु समाचार प्रत्रों कि समस्याओं को ध्‍यान में रखते हुए बताया कि बड़े समाचार पत्र लघु समाचारपत्रों की उपेक्षा में महत्वपूर्ण भुमिका अदा की है जिस प्रकार बड़ी मछली छोटी मछली को निकल जाती है उसी प्रकार प्रकार यह बड़े समाचार पत्र छोटे समाचार पत्र को नस्त नाबूत करने में लगे है़ जबकि पूरा देश जानता है कि देश को आजादी दिलाने में लघु समाचार पत्रों का योगदान कम नही रहा है। सम्‍पादकों ने अंग्रेजो की बड़ी-बड़ी यातनाओ को सहते हुये अपनी कुबार्नी देकर देश को आजाद कराया है। इस बात को पूरा देश जानता है और इतिहास भी साक्षी है। बिहार के योगेन्द्र रीगावाल देव देश भूटान मध्‍यप्रदेश के पुरूषोत्‍तम कसेरा सीही मजूमदार रमेश चौबे पश्चिम बंगाल के चितरंजन कुण्डु कलकत्ता के गीतेश शर्मा हरियाण कें यनआर बंसल पजाब के राम क्रष्‍ण श्रीमती उर्मिला क्रष्‍ण जैन चण्डीगढ के याके जैन नई दिल्ली के देवदत्त शास्‍त्रीश्री सच्चिदा नन्द शास्‍ती ज्ञान सिंह वीर राम दयाल गोठी राजस्थान बीडी गुप्ता बीयम जालान महाराष्‍ट के आलोक नन्दा श्री शशि कान्त कुलकणीर् हिमाचल से द्वारिका प्रसाद उनियाल आन्‍ध्र प्रदेश से रामोजी राव श्री सी कनक अम्बर राजू मद्रास से जानकी वेकटारमन आसाम से होमैन वार मोहन ने आयेदिन अपने-अपने प्रदेश के लघु समाचार पत्रों की कठिनाइयों को रखकर विचार विमर्श किया । समाचार पत्र् की टाइटिल रजिस्‍ट्रेशन डी.ए.वी.पी.की विज्ञापन मान्यता प्रसार संख्या की जांच के अलावा प्रदेश में विज्ञापन की कठिनाई डी.ए.वी.पी. से विज्ञापन संख्‍या केवल तीन बार जारी करने के साथ प्रेस मान्यता, जिला प्रदेश, और केन्द्र में लघु समाचार पत्रें को प्रशाशसकीय सुविधाओं के अभाव में गहन विचार विमर्श करके 3 मार्च, 1982 को संगठन का रजिस्‍ट्रेशन कराया गया और तय किया गया कि इसी आइसना के बैनर से धरना प्रदर्शन,अनसन करके प्रशासन से हर प्रकार से संघर्ष किया जायेगा यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन समस्‍याओं को हल नही करेगा।
श्री मधुकर त्रिवेदी ने कहा कि केन्द सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं का प्रचार लघु समाचार पत्र ही करते है और सुदूर गांवों में समस्या योजनाओं को लघु समाचार पत्र् ही जन-जन तक पहुचातें है । श्री भगवत शरण जी ने आपनी अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुये कहा कि केन्द्र सरकार और प्रदेश की सरकारे ग्राम विकास की और लगी है पंचायती राज की स्थापना करना चाहती है परन्तु लघु समाचार पत्रों की उपेक्षा करके यह कैसे सम्भव हो जायेगा इसकी जानकारी सभी सरकारो को यह हमारा संगठन देगा। 3 मार्च 1982 के रजिश्‍ट्रेशन के बाद मार्च के अंतिम सप्‍ताह में नई दिल्ली मे एक विशाल अधिवेशन आइसना का सम्पन्न हुआ । इस अधिवेशन में अधिकांश प्रदेशों के लघु समाचार पत्रों ने भी भाग लिया, दों दिन के अधिवेशन में वृहद्ध रूप से अलग-अगल प्रदेशों के समाचार पत्रों को समस्याओं का विस्तृत वर्णन और निराकरण कें सम्बंध में विचार निमय किया गया। सम्मेलन मे अलग-अलग प्रदेशों के समाचार पत्रों की समस्याओं का एक मे मोमरेण्‍डम ज्ञापन तैयार किया गया और प्रत्येक प्रदेश के अध्यक्ष को निर्देश दिया गया कि वह जाकर अपने प्रदेश में मुख्य मंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन देकर समचार की कठिनाईयों के निराकरण की पहल करें। केन्द्र सरका का ज्ञापन तैयार कर ज्ञी भगवत शरण, योगेन्द्र मिश्र, श्री त्रिवेदी, श्री देवदत्त शास्‍त्री, श्री शिवशंकर तिपाठी ने प्रधान मंत्री सूचना मंत्री भारत सरकार व राष्‍ट्रपति को जाकर एक-एक ज्ञापन देकर देश के लघुसमाचार पत्रें की कठिनाइयों को अवगत करते हुये शीघ्र निस्तारण की मांग की। ज्ञापन के निम्न प्रकार कथन-
  1. टाइटिल (शीर्षक) आवंटित करने के लिए रजिश्‍ट्रेशन न्‍यूज. पेपर्स आफ इण्डिया एक मास की अविधि निश्‍चित कर शीर्षक उपलब्ध करायें ।
  2. रजिश्‍ट्रेशन प्रमाण पत्र् की निस्तारण एक मास के अन्दर आर.एन.आई. को निदेरित किया जाय।
  3. न्युज प्रिंट कोटा का आवटन तीन मास के अन्दर करके प्रत्येक प्रदेश में उपलब्ध करा दिया जायें ।
  4. प्रसार संख्या जांच कर एक मास में प्रमाण पत्र् उपलब्ध कर दिया जाय।
  5. अप्रकाशित शीर्षकों को निरस्त कर उन शीर्षकों को को नये सिरे से इच्छुक व्यक्ति को आवंटित किया जाये।
  6. विज्ञापन एवं द्रश्‍य प्रचार निर्देशालय से विज्ञापन मान्यता तीन मास के अन्दर दिला कर विज्ञापन दर प्रमाण पत्र् उपलब्ध करा दिया जाय।
  7. डी.ए.वी.पी. को निर्देश दिया जाय कि ग्रामीण सम्बधी सभी विज्ञापन व टेण्डर लघु समाचार पत्रों को दिया जाय।
  8. विज्ञापन बिलों का भुगतान बीस दिन के अन्दर करनें के आदेश निर्देशालय डी.ए.वी.पी. नई दिल्ली को दिया जाय।
  9. आइसना राष्‍ट्रीय कायार्लय के लिए एक भवन आवटंन नई दिल्ली में किया जायें ।
  10. लघु समाचार पत्रों के एक प्रतिनिधि को प्रेस मान्यता दी जाय।
उक्त ज्ञापन का असर अच्छा रहा है आर.एन.आई. और डी.ए.वी.पी. को केन्द्र सरकार के निदेर जारी हुयें और इसी प्रकार अधिकांश प्रदेशों में यही से लघु समचार पत्रों की कठिनाइयों का निस्तारण प्रारम्भ हुआ। यह सब राष्‍ट्रीय अध्यक्ष श्री भगवत चरण के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ । प्रत्येंक दों वर्ष में अध्यक्ष का चुनाव होता है कई बार श्री भगवत चरण राष्‍ट्रीय अध्यक्ष रहे। इसके बाद श्री केयूर भूषण कई बार राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रहे इनके बाद श्री यशपाल कपूर पूर्व सांसद को राजस्थान के चित्तौर गढ़ आइसना के सम्मेलन में राष्‍ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। दुर्भाग्‍यवर्ष श्री यशपाल कपूर अपना पूरा कार्यकाल पूरा करने के पहले स्वर्गवास हो गये। इसके बाद १३ मार्च सन` 1993 को श्री शिवशंकर त्रिपाठी को राष्‍ट्रीय अध्यक्ष नई दिल्ली के विशाल सम्मेलन में चुना गया। श्री त्रिपाठी को सर्व सम्मति से एक बार पुनः अध्यक्ष चुना गया तब से यह कार्यरत है। सभी प्रदेशों में राष्‍ट्रीय सम्मेलन एवं प्रान्तीय सम्मेलन की होड़ लग गई और अब तो मण्डल और जिले भी सम्‍मेलन में पीछे नही है। सभी प्रदेश में जो भी लघु समाचार पत्रें को सुविधाये और राहत मिली है उसका श्रेय आइसना को ही है । मघ्‍य प्रदेश और उ.प्र. मे सभी प्रदेशों में अधिक विज्ञापन और अधिक सुविधायें मिल रही हैं उसका कारण है कि इन दो प्रदेशों में आये दिन मण्डलीय व जिला सम्मेलन तथा प्रान्तीय सम्मेलन हो रहे है इन प्रदेश में कई बार आइसना ने संगठित होकर धरना प्रर्दशन व अनशन भी किया है ।
 
श्री त्रिपाठी ने व़र्ष 1994-95 में आइसना पदाधिकारियों व सदस्यो का जलूस कनाट प्लेस नई दिल्ली से लेजाकर पालिर्यामेण्ट गेट में गिरफतारी देकर राट्रपति व प्रधान मंत्री को ज्ञापन देकर देश के लघु समाचार पत्रों कि कठिनाईयों से अवगत कराया, माननीय राट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा जब उपराट्रपति थे तब आइसना कई कार्यक्रमों में भाग ले चुके थे। उस समय मघ्‍यप्रदेश के सांसद श्री केमूर भूषण राट्रीय अध्यक्ष थे। माननीय राट्रपति आइसना से पूर्व परिचित होने के कारण आइसना की कठिनइयों को बड़े ध्यान से सुनकर ज्ञापन पर तत्का कार्यवाही करने का आश्‍वासन दिया।
 
अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने राट्रपति को बताया कि आज सरकार की योजनाओ को ग्रामीण स्तर तक पहुचाने का कार्य छोटे अखबार करतें है क्योकि बड़े-बड़े अखबार तो शहर तक सीमित है । श्री त्रिपाठी ने यह भी कहा है कि बड़े अखबारों में 80 प्रतिशत विज्ञापन और 20 प्रतिशत समाचार होता है तथा बड़े अखबारों को देश की 20 प्रतिशत जनता पढती है इसी के विपरीत छोटे अखबारो में 98 प्रतिशत समाचार और २ प्रतिशत विज्ञापन होता है देश की 80 प्रतिशत ग्रामीण जनता छोटे अखबार पढती है । बड़े समाचार पत्रों को प्राइवेट कम्‍पनियों से इतना विज्ञापन मिलता है कि उन्हे सरकारी विज्ञापन कि आवयकता नही होती है इसलिए उन्हे विज्ञापन देने बजाय सरकार की सुचना निशुल्‍क छापने को दी जाये और कुछ विज्ञापन छोटे अखबारो को दिया जाय क्योकि छोटा अखबार वुद्धि जीवी देश व समाज प्रेमी समाज का शुभ चिन्तक वह व्यक्ति निकलता है जिसकी आथिर्क दशा अच्छी नही होती है तब कि बड़ा समाचार पत्र बड़े-बड़े पूजपति और अपनी काली कमाई छिपानें के लिए निकालते है जिन्हे धन की कोई आवयकता नही होती हैं। लेकिन केन्द्र सरकार और प्रदेश की सरकारे विज्ञापन नीत को बिल्कुल उल्टा कर रखा है। बड़े अखबारों का पूर्ण विज्ञापन और छोटे अखबारों को नाम मात्र विज्ञापन देने की नीत पर चल रहे है इसलिए इस नीत पर रोक लगाते हुये उल्टी व्यस्था को सीधी करने की व्‍यवस्‍था करने को सरकार को निर्देश देने की अपील महामहिम राष्‍ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा जी से की । महामहिम ने पूरे आश्‍वासन के साथ प्रतिनिधि मण्ड्ल से ज्ञापन ले लिया था।
 
श्री शिवशंकर त्रिपाठी को 13 मार्च को अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद दिल्‍ली से उत्‍तर प्रदेश लखनऊ में 15 मार्च को आने पर स्‍टेशन से लेकर प्रदेश कार्यालय तक भव्‍य स्‍वागत किया गया । मघ्‍य प्रदेश के अध्‍यक्ष श्री के बासू ने श्री त्रिपाठी का स्‍वागत कार्यक्रम 19 मार्च से 25 मार्च तक मध्‍य प्रदेश में कराया, 19 मार्च को भोपाल में स्‍वागत करने के बाद इंदौर, उज्‍जैन, ग्‍वालियर, जबलपूर आदि कई शहरों व जिलों में भव्‍य स्‍वागत आइसना ने किया।
 
उड़ीसा प्रदेश के अध्‍यक्ष लखनऊ आकर राष्‍ट्रीय  अध्‍यक्ष त्रिपाठी को फियेट कार से लखनऊ से ले जाकर उड्रीसा के पांचों जिलों में सम्‍मेलन कराकर भव्‍य स्‍वागत किया इसी क्रम में बिहार के अध्‍यक्ष ने गया में सम्‍मेलन करके स्‍वागत किया तो पश्चिम बंगाल के अघ्‍यक्ष  ने पश्चिम पश्चिम बंगाल में स्‍वागत व आइसना का सम्‍मेलन किया, राजस्‍थान के अघ्‍यक्ष श्री त्रिपाठी को मारूतीबैन से लखनऊ से राजस्‍थान ले जाकर वहां के चार जिलों में स्‍वागत किया ।  राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष श्री त्रिपाठी ने उड़ीसा के मुख्‍य मंत्री  से मिल कर दस अखबारों की रूकी हुई विज्ञापन मान्‍यता दिलाकर विज्ञापन की स्थ्‍िति को मजबूत किया इसी प्रकार जयपुर में मुख्‍यमंत्री से त्रिपाठी जी ने मिलकर वहां के लघु समाचार पत्रों की समस्‍याओं का निराकरण कराया, श्री त्रिपाठी ने अपने पूरे कार्यकाल में पॉच बार महाराष्‍ट्र जाकर बम्बई के आइसना के अधिवेशन को सम्‍बोधित किया और वहां की समस्‍याओं का ज्ञापन मुख्‍यमंत्री को दिया इस प्रकार हिमाचल प्रदेश के कई जिलों का दौरा तथा शिमला की बैठक में शिरकत की पंजाब, हरियाणा, चण्‍डीगढ़ आन्‍ध्रप्रदेश का दौरा रूका हुआ है । श्री त्रिपाठी ने अथक प्रयास करके दिल्‍ली राजधानी में आइसना की इकाई को  शसक्‍त किया है महीने में तीन-चार बार दिल्‍ली जाकर यू. पी. भवन में रूक कर सभी प्रदेशों के समाचार पत्रों की समस्‍याओं को आर. एन.आई और डी. ए.वी.पी. से संबधित कठिनाइयों को दूरकरते है।
 
आइसना के सभी सम्‍मेंलनों की व्‍यवस्‍था स्‍थानीय इकाई आपस में धन इकट्रठा करके करती है । कभी भी चन्‍दा और आर्थिक सहायता आइसना ने बाहर से नही लिया है। राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष श्री त्रिपाठी ने आज तक किसी प्रदेश से कोई आर्थिक सहयोग नही लिया है यहां तक सदस्‍य शुल्‍क जो राष्‍ट्रीय कार्यालयों में जाना चाहिए उसे भी नही लिया गया है। इसी प्रकार आइसना संगठन के किसी पदाधिकारी व सदस्‍य  ने भी आज तक संगठन के बाहर किसी व्‍यक्ति, किसी अधिकारी, किसी नेता, मंत्री, व मुख्‍यमंत्री से भी किसी प्रका का आर्थिक सहयोग नही लिया है ।
अन्‍य  प्रदेशों की उपेक्षा उत्‍तर प्रदेश के लघुसमाचार पत्रों को आइसना से अधिक सहयोग मिला है ।
 
उत्‍तर प्रदेश में 6 पेज समाचार पत्र को 6 महीनें में जहां विज्ञापन मान्‍यता मिलती थी वही आइसना नें 6 पेज के स्‍थान पर 4 पेज तथा 6 माह के स्‍थान पर चार माह में विज्ञापन मान्‍यता का समय सुनिश्‍चत  कराया ।
 
उत्‍तर प्रदेश में  किसी सम्‍पादक मालिक व पत्रकर को पुलिस गिरफ्‍तार करने के पहले एम.पी. व एम.एल.ए. की भांति शासन को अवगत करायेगी यह व्‍यवस्‍था आइसना ने पहल करके शासन में चार अधिकारियों की समिति बनवायी है जिसमें सूचना निदेशक, सूचना सचिव, डी.जी.पी., ग्रह सचिव है ।
 
प्रेस मान्‍यता का सरलीकरण आइसना ने उ.प्र. में कराया है बस में कूपन व्‍यवस्‍था समाप्‍त कर आई. कार्ड. से निशुल्‍क बस यात्रा की सुविधा में रोड टैक्‍स  माफ कराकर आइसना ने एक अच्‍छी सफलता प्राप्‍त की है जिला प्रेस मान्‍यता प्राप्‍त  को रेलवे कूपन की व्‍यवस्‍था कराकर रेल यात्रा की सुविधा आइसना ने हाईकोर्ट द्वारा कराया है पहले यह सुविधा उ.प्र. के जिला लखनऊ और गोरखपुर को प्राप्‍त थी।
 
उ.प्र. में लघु समाचार पत्रों के बजट का 75 प्रतिशत विज्ञापन की व्‍यवस्‍था आइसना ने कराई है इस प्रकार वर्ष में लगभग दस पेज विज्ञापन टेण्‍डर छोटे अखबारों को भी प्राप्‍त हो जाते है ।
 
आइसना ने दैवी अपदाओं में चन्‍दा करके आर्थिक सहायता भेजा है, तो दूसरी तरफ अपने जन प्रतिनिधियों को भी सहायतार्थ भेजा है, पुलिस उत्‍पीड़न, रासुक आदि पर गिरफ्‍तार पत्र प्रतिनिधियों का छुड़ाया, तो दूसरी तरफ जिला पशासनिक अधिकारियों द्वारा पत्र प्रतिनिधियों को उत्‍पीड़न करने पर उन्‍हे सबक सिखाया है ताकि भविष्‍य में किसी पत्रका का उत्‍पीड़न न कर सके ।
 
इलाहाबाद प्रयाग कुम्‍भ मेले में कैम्‍प लगाकर देश-विदेश के पत्रकारों की रहने खाने की सुविधा एवं पत्रकार पशिक्षण व गोष्‍ठी करके समाचार पत्र व सम्‍बंध  में इस संगठन ने पूरी जानकारी दी प्रेस कौसिंल में समाचार पत्रों के मुकदमों की पैरवी व न्‍यायालय में वकील की तरह बहेस करके इस संगठन ने समाचार पत्रों के मालिकों को न्‍याय दिलाने में भी आइसना पीछे नही रहा है ।
वर्ष 99 विज्ञापन एवं दृश्‍य प्रचार निदेशालय नई दिल्‍ली  देश के लघुमध्‍यम समाचार पत्रों के लगभग 5000 समाचार पत्रों का प्रति वर्ष होने वाली विज्ञापन मान्‍यता नवीनकरण होकर विज्ञापन दर मिलती चली आ रही थी इस प्रकार समाचार पत्रों को दोहरी क्षति हुई। एक तरफ तो डी. ए.वी.पी. से मिलने वाला पन्‍द्रह अगस्‍त, 2 अक्‍टूबर, 26 जनवरी के साथ मिलने वाले टेण्‍टर व वर्गीकरण विज्ञापन जारी नही हुये तो दूसरी तरफ प्रदेश राजधानी व जिलों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों को जिलों व राजधानी से मिले हुए विज्ञापन बिलो का भुगतान डी.ए.वी.पी. विज्ञापनदर के अभाव में रूका हुआ है इस परिस्थिति में समाचार पत्र बन्‍द होने की स्थित में पहुंच गये है ।
 
त्तथा कथित स्‍वार्थपरस्‍त वर्ष में एक बार राष्‍ट्रीय  सम्‍मेलन कर करोड़ों रूपया संगठन के नाम इकट्रठा कर वर्ष भर ऐसा करने वाले संगठनों ने डी.ए.वी.पी. के खिलाफ कराने का प्रयास किया परन्‍तु धरना प्रदर्शन में दस, पांच सदस्‍य  पदाधिकारी से ज्‍यादा संख्‍या न होने के कारण शासन और प्रशासन में कोई असर नहीं हुआ इससे नाराज होकर डी.ए.वी.पी. के तीन अधिकारी महानिदेश साहब सिंह, क्षेत्रीय निर्देशक बहादुर सिंह व मीडिया अधिकारी जि‍तेन्‍द्र प्रसाद ने बचे हुये अन्‍य समाचार पत्रों का नवीनीकरण निरस्‍त करण प्रारम्‍भ कर दिया, जिन समाचार पत्रों ने दस हजार से लेकर 25 हजार रूपया तक नवीनीकरण के लिए दिया उन्‍ही  का नवीनीकरण हुआ बाकी अर्थाभाव में वचिंत रहे इस तथ्‍य का खुलासा देश के अधिकाशं प्रदेशों के समाचार पत्रों ने माननीय श्रीमती सुषमा स्‍वराज्‍य सूचना मंत्री भारत सरकार के समक्ष, पन्‍द्रह नवम्‍बर 2000 को हिन्‍दी भवन सभागार नई दिल्‍ली आइसना के राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन  के उदघाटन और उनके उदवोधन में हुआ। श्रीमती सुषमा स्‍वराज्‍य ने आश्‍वासन दिया कि अधिकारियों के विरूद्व सख्‍त कार्यवाही की जायेगी और किसी भी समाचार पत्र का उत्‍पीड़न नही होगा राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष श्री शिवशंकर त्रिपाठी ने अपने सम्‍बोधन में मा. सूचना मंत्री को बताया कि उन्‍होने महानिदेशक साहब सिंह से वर्षो से प्राप्‍त हीन वाले विज्ञापन दर नवीनीकरण रोकने का कारण पूछा तो साहब सिंह ने कारण बताया-
 
प्रिट लाइन का न होना । 2. पुवर प्रिटिंग। 3. कटिंग। 4. गलत प्रसार संख्‍या। श्री त्रिपाठी ने साहब सिंह से पूछा कि आपके पूर्व, जो अधिकारी डी. ए. वी. पी. में थे तो क्‍या उक्‍त कमियों के बाद भी बिना किसी रोक-टोक के नवीनीकरण प्रति वर्ष लगातार करते चले आये है। दूसरी बात श्री त्रिपाठी ने कहा कि देश में कोई ऐसा समाचार पत्र मलिक सम्‍पादक नही है जिसे अपने समाचार पत्र में प्रिंट लाइन लिखने का ज्ञान हो।
 
समाचार पत्र की जांच आर. एन. आई द्वारा लगातार होती रहती है और यह अधिकतर प्रकाशित व मुद्रित स्‍थल पर निरीक्षण के बाद होती है और आर. एन.आई. की समाचार पत्र की प्रसार संख्‍या का प्रमाणप्रत्र जारी करता है कि इस समाचार पत्र में प्रतियां छपती है और इ‍तनी प्रतियां बिकती है इससे यह साबित होता है कि पुवर का ऐतराज पाठक को नहीं है और साथ में जांच अधिकारी को नही है तो डी.ए.वी.पी. किस एक्‍ट में अधिकार है कि आर.एन.आई. जांच प्रमारण पत्र को झूठा बतायें जबकि एन आई जांच प्रमारण पत्र को न्‍यायालय के अलावा किसी को चैलेंज करने का अधिकार नही है इसलिए पुवर प्रिटिंग आरोंप बेबुनियाद और बेइमानी है तथा यह बैकडोर व घसीटने का घृणित प्रयास है कटिंग पेस्टिंग के आरोप को खारिज करते हुये त्रिपाठी जी ने मंत्री से पूछा कि मां. मंत्री जी आप व आपके सहयोगी तथा प्रधान मंत्री व मुख्‍यमंत्री यदि कोई ऐसी घोषणा, सूचना व जानकारी देते है जिनका पाठक दोबारा पढ़ना है और यदि ऐसे समाचार को यदि समाचार पत्र में क‍टिंग करके दोबार पेस्‍ट कर दिया है तो क्‍या इसे कटिंग पेस्टिग कहकर नवीनीकरण को रोका जा सकता है इसी प्रकार आरोप को खारिज करते हुए त्रिपाठी ने मंत्री को बताया कि पूंजीपति राष्‍ट्रीय खबरे तो पचास-पचास हजार छापते है और 7-8 लाख की प्रसार संख्‍या दिखाकर बड़ी दर डी.ए.वी.पी. से प्राप्‍त  कर लेते है यदि लघु समाचार पत्रों ने पांच दस हजार प्रसार अधिक दिखाया है तो उसके विज्ञापन दर में तो कमी की जा सकती है परन्‍तु निरस्‍तीकरण नवीनीकरण रोकने का डी.ए.वी.पी. को कोई अधिकार नहीं है इस प्रकार डी.ए.वी.पी. व तीनो अधिकारियों को बैकडोर से समाचार पत्रों से धन वसूलने की खुली साजिश की।
 
श्री त्रिपाठी ने मंत्री जी को सुझाव दिया कि यदि डी. ए. वी.पी. पचीस हजार प्रसार संख्‍या  तक एक दर तथा पचीस से पचहत्‍तर हजार प्रसार संख्‍या की एक दर पचहत्‍तर हजार रूपये के ऊपर यदि एक दर कर दी जाय तो कोई भी गलत प्रसार नही बतायेगा सभी समाचार पत्र अपनी प्रसार संख्‍या  को वास्‍तविक रूप दे देंगे । श्री त्रिपाठी जी ने यह भी मांग की कि दर निर्धारण  में लघु समाचार पत्र को भारी व मध्‍यम को लघु से कम दर तथा बड़े समाचार पत्र को  मध्‍यम से कम दर आवश्‍यकता देते हुये निर्धारित किया जाय क्‍योंकि पूजीपति तो अपने काले धन को सफेद कर मध्‍य का समाचार पत्र सम्‍पन्‍न लोगों के द्वारा तथा लघु समाचार पत्र अर्थहीनः प्रकाशित होता है । बड़े समाचार पत्र को प्राइवेट विज्ञापन इतना अधिक मिल जाता कि उन्‍हे सरकारी विज्ञापन की कोई आवश्‍यकता नही होती है, मा. मंत्री जी ने  आसवासन दिया कि समस्‍त समस्‍याओं का निराकरण शीर्घ होगा परन्‍तु महा निर्देशक साहब सिंह, राजनीतिक दबाव में समाचार पत्रों का और अधिक उत्‍पीड़न बढ़ गया और साहब का न ता स्‍थानान्‍तरण हुआ और न रिश्‍वत के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई अंत में आइसना एक मई 2001 में मा. सूचना मंत्री व प्रधान मंत्री भारत सरकार को नोटिस देकर चेतावनी दी कि एक माह में महानिर्देशक साहब सिंह व क्षेत्रीय निदेशक बहादुर सिंह का स्‍थानान्‍तरण न किया गया और मीडिया अधिकारी जितेन्‍द्र प्रसाद से नवीनीकरण का काम छीनकर उनके खिलाफ रिश्‍वत लेने की कार्यवाही न  की गई तो आइसना प्रतिनिधि नई दिल्‍ली के जन्‍तर मन्‍तर रोड पर धरना देकर डी.ए.वी.पी. व सूचना मंत्री का घेराव कर 7 जून 2001 को भारी संख्‍या में गिरफ्‍तारी  देगें। इसीक्रम में 7 जून को सभी प्रदेशों के आइसना प्रतिनिधि भारी संख्‍या में इकट्ठा  होकर जन्‍तर-मन्‍तर  चौराहा सड़क पर बैठकर रोड जाम करते हुये धरना देकर भारी संख्‍या में डी.ए.वी.पी. के लिए भारी जुलूस में नारे लगाते हुए आगे बढ़े पालियामेंण्‍ट  स्‍ट्रीट कोतवाली के सामने भारी पुलिस ने भारी बेरी केटिंग करके जुलूस को रोककर पालियामेंण्‍ट स्‍ट्रीट को जाम कराया अंत में सायंकाल आइसना के राष्‍ट्रीय अघ्‍यक्ष श्री शिवशंकर त्रिपाठी के नेतृत्‍व में सभी लोगो ने गिरफतारी दी। इस धरना प्रर्दशन के भारी दबाव को देखकर सरकार ने महानिदेशक साहब सिंह क्षेत्रीय निदेशक बहादुर सिंह का तुरन्‍त स्‍थानान्‍तरण किया मीडिया अधिकारी जितेन्‍द्र प्रसाद का नवीनीकरण व दर निर्धारण का कार्य छीन कर उनके खिलाफ जांच कार्यवाही प्रारम्‍भ हुई और विज्ञापन मान्‍यता नवीनीकरण में अलग से बनाये गये अवरोधक नियमों को वापस लिया गया पूर्व नियमों को बहाल करके लगभग दो हजार निरस्‍त अखबारों को तुरन्‍त नवीनीकरण किया गया अब शेष नवीनीकरण की पत्रावली चल पड़ी है जिसका निपटारा शीघ्र होने की सम्‍भावना है पता चला है कि नवीनीकरण में डी.ए.वी.पी.  सलाहकार समिति में दो अखबार प्रतिनिधियों ने बैक डोर के लिए नवीनीकरण में बाधा डालना प्रारम्‍भ  किया है । आइसना ने पुनः समिति को समाचार हित में कार्य करने की अनुरोध किया है।
 
आप सभी जानते है कि समाचार पत्रों की कठिनाइयां आइसना द्वारा ही दूर की गयी है। यह सब आपकी एकता एवं एकजुटता का प्रमाण है। आज देश में अधिकांश प्रदेशों में इसकी इकाइयां कार्यरत है सभी प्रदेशों में आइसना द्वारा सदस्‍य बनाने का अभियान जोरो पर चल रहा है उ.प्र., मध्‍य प्रदेश में आइसना ने सदस्‍य बनानें में काफी सफलता हासिल की है। इन प्रदेशों में समाचार पत्र के किसी संगठन को सम्‍मेलन करने व मीटिंग करने के लिए 50 सदस्‍य भी नही मिल  पा रहे है इन संगठनों की दुकाने अब बन्‍द होने की कगार पर है क्‍योकि यह सब संगठन व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ  पूर्ति के लिए है संगठन नामक दुकान से धन अर्जित करना व राजनैतिक लाभ लेना, इनका पूरा उद्रदेश्‍य है इस बात को अधिकांश समाचार पत्र के मालिक सम्‍पादक समझ चुके है।
यही कारण है इन संगठनों का बहिस्‍कार किया जा रहा है। इन सम्‍मेलनों का उद्रदेश्‍य वर्ष में एक राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन करके सम्‍मेलन में प्रधान मंत्री व राष्‍ट्रपति को बुलाकर सम्‍मानित करके पचंतारा होटल में सम्‍मेलन करके सम्‍मेलन के नाम पर कई लाख रूपया इक्‍ट्ठा करके साल भर अपना खर्चा शान शौकत से चलाते है पैसा कम होने पर पुनः सम्‍मेलन करके धन इकट्ठा कर लेते है। इन संगठनों का यही उद्देश्‍य है। समाचार पत्रों की कठिनाइयों से इनका कोई लेना देना नही है। प्रेस कौसिल में तथा प्रदेश की सरकारी समितियों में अपने भाई और भतीजों को अखबार के नाम पर संगठन का प्रतिनिधि बनाकर समितियों में सदस्‍य पदाधिकारी बनाकर अपने परिवार को मजबूत करते है।
 
आइसना देश का ऐसा महत्‍वपूर्ण संगठन है कि इसके किसी पदाधिकारी सदस्‍य ने संगठन के द्वारा किसी प्रकार की कोई व्‍यक्तिगत लाभ अर्जित नही किया है। जब भी कोई मांग की है तो पूरे प्रदेश व देश में लघु समाचार पत्रों के लिए किया है। समाचार पत्रों की कठिनाइयों को हल करना ही इस संगठन का उद्रदेश्‍य और लक्ष्‍य है।
 
आइसना को अपने सदस्‍य व पदाधिकारियों पर पूरा विश्‍वास है  कि वह समाचार पत्रों की समस्‍याओं को हल करने के लिए अपना पूरा तन मन धन लगाकर बराबर संघर्ष करते रहेगे साथ ही पूरे देश में इतने सदस्‍य बना लेगे कि संगठन के नाम पर खुली दुकाने बन्‍द हो जायेगी और भविष्‍य में नयी दुकाने नही खुलेगी।
 
आपका अपना
सच्चिचदानं

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